नये कृषि कानूनों पर किसानों की केंद्रीय मंत्रियों के साथ होने वाली बैठक से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने शनिवार को कहा कि भाजपा नीत केंद्र सरकार केवल सड़कों पर किए जाने वाले प्रदर्शनों की भाषा समझती है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने इन कानूनों पर संसद की स्थायी समिति के जरिए कहीं अधिक परामर्श एवं विचार करने की मांग की थी, लेकिन यह अनुरोध अस्वीकार कर दिया गया और जब कांग्रेस सांसदों ने संसद में इसका विरोध किया तो उन्हें सदन से निलंबित कर दिया गया।
Now the same govt has been compelled to bow down and conceding to the demands of the farmers in a very reluctant manner, we asked for more consultation and scrutiny through standing committee.
2/3— Adhir Chowdhury (@adhirrcinc) December 5, 2020
लोकसभा में कांग्रेस के नेता चौधरी ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘‘कांग्रेस ने जब किसान विरोधी विधेयकों का विरेाध किया, तब सत्तारूढ़ पार्टी ने हम पर किसानों के हितों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया था और यहां तक कि हमारे सदस्यों (सांसदों) को संसद में उस वक्त निलंबित कर दिया गया जब विधेयकों को पारित कराए जाने से पहले उन पर मतविभाजन की मांग की गई।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अब यही सरकार बहुत ही बेमन से किसानों की मांगों के आगे झुकने को मजबूर हो गई है।’’ सूत्रों ने बताया कि नये कृषि कानूनों पर पांचवें दौर की वार्ता के लिए शनिवार को किसानों के केंद्रीय मंत्रियों से मिलने का कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि सरकार और किसान संगठनों के बीच पांचवें दौर की अहम बातचीत से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई केंद्रीय मंत्रियों ने प्रदर्शनकारी समूहों के समक्ष दिए जाने वाले संभावित प्रस्ताव पर विचार-विमर्श के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है।
सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री के साथ बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल भी मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि नए कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए बृहस्पतिवार को किसान संगठनों और सरकार के बीच हुई चौथे दौर की वार्ता बेनतीजा रही थी।