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इस वर्ष से केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 12वीं के अंको के आधार पर नहीं मिलेगा एडमिशन, देना होगा एंट्रेंस टेस्ट

यूजीसी के मुताबिक सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट यानी सीयूसीईटी के अंतर्गत अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले की प्रक्रिया अप्रैल महीने के प्रथम सप्ताह से शुरू होगी।

देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में इस वर्ष पहली बार नए बैच के लिए दाखिले एनईपी यानी नई शिक्षा नीति के तहत सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीयूसीईटी) से किए जाएंगे। यूजीसी के मुताबिक सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट यानी सीयूसीईटी के अंतर्गत अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले की प्रक्रिया अप्रैल महीने के प्रथम सप्ताह से शुरू होगी। यूजीसी का कहना है कि यह परीक्षाएं 13 विभिन्न भारतीय भाषाओं में आयोजित करवाई जाएंगी। विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट की प्रक्रिया लागू होने से 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में अर्जित किए जाने वाले अंकों का महत्व इस दाखिला प्रक्रिया में नहीं रह जाएगा।
पीजी पाठ्यक्रमों में पहली की तरह होगा दाखिला
डीयू, जेनयू, बीएचयू समेत देश भर के अधिकांश विश्वविद्यालय अब खुलने लगे हैं। यहां फिजिकल कक्षाएं प्रारंभ हो चुकी हैं। विश्वविद्यालयों के मुताबिक इस वर्ष फर्स्ट ईयर का नया बैच भी समय पर शुरू होगा। वर्ष 2022-23 में लगभग सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ग्रेजुएशन पाठ्यक्रमों के दाखिले सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीयूसीईटी) से होंगे। हालांकि वर्ष 2022-23 में भी कई विश्वविद्यालयों में पीजी पाठ्यक्रमों में दाखिला पहले की ही तरह होगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के संबंध में देश भर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों को सूचित कर दिया है। यूजीसी से मिले आधिकारिक निर्देशों के बाद विश्वविद्यालयों ने कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के लिए तैयारियां भी शुरू कर दी है। दिल्ली विश्वविद्यालय समेत अनेक केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने 2022- 2023 शैक्षणिक सत्र के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट को अनिवार्य भी कर दिया है।
यह परीक्षा कई छात्रों के लिए नए द्वार खोलने में सक्षम है : सीएस कांडपाल
केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने बकायदा कॉमन एंट्रेंस टेस्ट को लेकर विश्वविद्यालयों की एकेडमिक काउंसिल और एग्जिक्यूटिव काउंसिल में प्रस्ताव भी पास किए हैं। प्रमुख शिक्षाविद सीएस कांडपाल के मुताबिक यह एक नई व्यवस्था है जिसे अनुभव के आधार पर परखा जाएगा, अभी से इसके गुण दोषों पर टिप्पणी उचित नहीं है। शिक्षण संस्थानों को एक सकारात्मक बदलाव के तौर पर इसे देखना चाहिए। यह परीक्षा कई छात्रों के लिए नए द्वार खोलने में सक्षम है। यदि भविष्य में इन परीक्षाओं के आयोजन अथवा प्रक्रिया में कोई त्रुटि आती है तो उसे सुधारने की गुंजाइश है। दिल्ली विश्वविद्यालय एवं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भी 2022-23 में शुरू होने वाले शैक्षणिक सत्र में ‘केंद्रीय विश्वविद्यालय कॉमन एंट्रेस टेस्ट’ के जरिए दाखिला मिलेगा।
पोस्ट ग्रेजुएट और पीएचडी दाखिला में नहीं हुआ है कोई बदलाव
गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में जहां ग्रेजुएशन पाठ्यक्रमों में दाखिले सीयूसीईटी से होंगे वहीं पोस्ट ग्रेजुएट और पीएचडी दाखिला प्रक्रिया में अभी तक बदलाव नहीं हुआ है। पीजी और पीएचडी में पहले की ही भांति दाखिला दिया जाएगा। डीयू प्रशासन ने आधिकारिक नोटिस के जरिए इसकी पुष्टि भी की है। दिल्ली विश्वविद्यालय में पीजी और पीएचडी दाखिले प्रवेश परीक्षा के आधार पर होते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में पीजी में डीयू से ग्रेजुएट छात्रों को 50 फीसदी सीट मिलता हैं। हालांकि पीएचडी में यह आरक्षण नहीं है। इसके साथ ही डीयू ने नए सत्र से एमफिल को समाप्त कर चुका है। इसके लिए कार्यकारी परिषद में प्रस्ताव पास किया था। नई शिक्षा नीति में भी एमफिल को समाप्त करने का प्रावधान है।

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