राफेल डील को लेकर एक बार फिर से फिर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस आमने-सामने हैं। राफेल विमान की खरीद को लेकर फ्रेंच पब्लिकेशन मीडिया रिपोर्ट की सामने आई। जिसके बाद पहले कांग्रेस ने बीजेपी को घेरा, आज मंगलवार को बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। रिपोर्ट के मुताबिक यह रकम फर्जी कंपनियों और नकली बिलों के जरिए ट्रांसफर की गई थी। इस डील में जिस बिचौलिये का नाम सामने आ रहा है, वह है सुशेन मोहन गुप्ता। सुशेन मोहन गुप्ता को लेकर एक तरफ कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि उसने मामले की जांच नहीं कराई। वहीं बीजेपी का कहना है कि यूपीए सरकार के दौर में मिलीभगत से ही सुशेन मोहन ने इस काम को अंजाम दिया है।
कौन है सुशेन गुप्ता
46 वर्षीय कारोबारी गुप्ता का नाता भारत की डिफेंस और एविएशन इंडस्ट्री से गहरा ताल्लुक रखने वाले परिवार से है। पुरानी दिल्ली में बसे गुप्ता परिवार का पैतृक रूप से कपड़ों का कारोबार था, लेकिन सुशेन के दादा बृज मोहन गुप्ता ने एविएशन की दुनिया में कदम रखा था। गुप्ता ने कई अंतरराष्ट्रीय डिफेंस और एविएशन कंपनियों के साथ करार में रोल अदा किया था। ब्रिटिश कंपनी वेस्टलैंड एयरक्राफ्ट्स, प्रैट एंड विट्नी समेत कई दिग्गज कंपनियों के साथ गुप्ता ने डील कराई थी। बृज मोहन गुप्ता के बाद उनके बेटे देव ने भी इसे फैमिली बिजनेस के तौर पर जारी रखा और अब सुशेन मोहन गुप्ता परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं।
दिल्ली के अमेरिकन एम्बेसी स्कूल से पढ़े सुशेन मोहन गुप्ता ने उच्च शिक्षा भी अमेरिका से ही हासिल की है। इसके बाद सुशेन मोहन ने परिवार के एविशन कारोबार के अलावा हॉस्पिटेलिटी और पावर बिजनेस में भी दखल दिया था। सुशेन गुप्ता का नाम 2010 के वीवीआईपी चौपर स्कैम में नाम आया था। इस डील को अगस्टा वेस्टलैंड से उन्होंने गौतम खैतान और कारोबारी राजीव सक्सेना के साथ मिलकर कराया था। गौतम खैतान के पिता ओपी खैतान का गुप्ता फैमिली से पुराना संबंध रहा है। वह गुप्ता परिवार के वकील के तौर पर काम कर चुके थे।
खेतान और राजीव सक्सेना से भी संबंध
इसके अलावा ओपी खैतान के जरिए ही गुप्ता की मुलाकात राजीव सक्सेना से हुई थी। तीनों को अगस्टा वेस्टलैंड डील की जांच के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद दिल्ली की एक कोर्ट ने जमानत पर सुशेन गुप्ता को रिहा कर दिया था। अब मीडियापार्ट की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सुशेन गुप्ता ने कई देशों में फैले अपने फर्जी कंपनियों के नेटवर्क के जरिए डील में दलाली की रकम ली थी।