भारत-चीन सीमा विवाद जारी है। बॉडर पर चीन को मुंहतोड़ जवाब तो भारतीय सैना के द्वारा तो दिया ही जा रहा है, तो दूसरी ओर भारत चीन को आर्थिक चोट भी पहुंचा रहा है। बीते कुछ दिनों पहले भारत सरकार ने 59 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया था। वहीं, अब सरकार ने पड़ोसी देश की भाषा को भी ठुकराने का फैसाल लिया है। हाल ही कैबिनेट की ओर से मंजूर की गई नई शिक्षा नीति में चाइनीज को विदेशी भाषाओं की उस सूची में नहीं रखा गया है, जिन्हें सेकेंड्री स्कूल लेवल पर छात्रों को पढ़ाया जाएगा।
नई शिक्षा नीति की इस सूची में जर्मन, कोरियन, फ्रेंच, रसियन, स्पैनिश, पोर्तगीज और थाई को विकल्प के रूप में शामिल किया गया है, जिन्हें छात्र चुन सकते हैं। मगर खास बात यह है कि जब बीते वर्ष नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार किया जा रहा था, जब इसमें फ्रेंच, स्पैनिश, जापानी के साथ चाइनीज का भी जिक्र था।
बीते बुधवार को मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर की ओर से जारी नई शिक्षा नीति में चाइनीज को हटा दिया गया है। कहा जा रहा है कि मोदी सरकार ने यह फैसाल मौजूदा समय में चीन के साथ जारी सीमा विवाद के चलते लिया गया है।
ज्ञात हो कि भारत सरकार ने हाल ही में टिकटॉक सहित चीन के 59 मोबाइल ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया था। सरकार ने इन ऐप्स को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताया था। इसके ठीक कुछ दिनों बाद ही सरकार ने इन ऐप्ल के दूसरे वैरिएंट और क्लोन वाले 47 और ऐप्स को बैन कर दिया।