देश में चौदहवां कृषि विज्ञान कांग्रेस बुधवार से यहां शुरु हो रहा है जो 23 फरवरी तक चलेगा। कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह सम्मेलन का उदघाटन करेंगे। राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (नास) के अध्यक्ष पंजाब सिंह और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्रा ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में बताया कि यह कृषि कांग्रेस ‘ कृषि में क्रांति के लिए नवाचार ’ विषय पर आयोजित हो रहा है। कांग्रेस का आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और नास संयुक्त रूप से कर रहा है।
यह आयोजन हर दो साल पर होता है। सम्मेलन में लगभग 2,000 वैज्ञानिक हिस्सा लेंगे जिनमें 17 देशों के वैज्ञानिक भी शामिल हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, कनाडा, डेनमार्क, बेल्जियम, कोलंबिया, फ्रांस, इंडोनेशिया, इटली, मोरक्को, न्यूजीलैंड, सिंगापुर और थाईलैंड के 40 से अधिक वैज्ञानिक हिस्सा लेंगे। उन्होंने कहा कि कृषि में आयी क्रांति के कारण देश न केवल खाद्य सुरक्षा में आत्मनिर्भर हुआ है बल्कि बहुत सी वस्तुओं का आयात भी किया जा रहा है।
डॉ सिंह और डॉ महापात्रा ने बताया कि सम्मेलन के दौरान वर्ष 2025 तक देश की आधी आबादी के लिए रोजगार और आजीविका सुरक्षा के मुख्य स्त्रोत के संभावनाओं पर पर विचार किया जायेगा। इससे व्यापार के अवसर, सेवा प्रदाता, उद्योग और पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा की दिशा तय करने में मदद मिलेगी। इस सम्मेलन में हरित क्रांति से जीन (आनुवांशिक) क्रांति की यात्रा में उत्पादकता,लाभ, स्थिरता तथा सर्वांगीण विकास के लिए नवाचार की आवश्यकता पर बल दिया जायेगा।
कृषि विज्ञान कांग्रेस के कार्यक्रमों को दस विषयों में बांटा गया है जिनमें कृषि और बागवानी, पादप संरक्षण, आनुवांशिक सुधार, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, खाद्य प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्द्धन, पशु विज्ञान, मत्स्य पालन, इंजीनियरिंग और सूचना प्रौद्योगिकी, समाज विज्ञान तथा कृषि शिक्षा शामिल हैं। इन विषयों पर 32 तकनीकी सत्र आयोजित किये जायेंगे। सम्मेलन में किसान, शोधकर्ता,नीति निर्माता, उद्यमी और छात्र भी हिस्सा लेंगे और अपनी समस्याओं तथा अनुभवों को साझा करेंगे। इस दौरान कृषि नवाचार से संबंधित एक प्रदर्शनी भी लगायी गयी है। संवाददाता सम्मेलन के दौरान कांग्रेस आयोजन समिति के सचिव अशोक कुमार सिंह भी उपस्थित थे।