केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में पिछले एक साल से जारी आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन कानूनों को रद्द करने का ऐलान कर दिया है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मुझे दुःख है कि हम कुछ किसानों को इन कानून के लाभ नहीं बता पाए।
7 वर्षों में कृषि को लाभ पहुंचाने वाली कई नई योजनाएं की गयी शुरू
केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा, देश इस बात का गवाह है कि जब से पीएम मोदी ने 2014 में सरकार की बागडोर अपने हाथों में ली है, उनकी सरकार की प्रतिबद्धता किसानों और कृषि के लिए रही है। परिणामस्वरूप आपने देखा होगा कि पिछले 7 वर्षों में कृषि को लाभ पहुंचाने वाली कई नई योजनाएं शुरू की गईं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सुधार की दृष्टि से तीन कृषि कानून लेकर आए। मुझे दुख है कि इन कृषि कानूनों के लाभ हम देश के कुछ किसानों को समझाने में सफल नहीं हो पाए। हमने कृषि कानूनों के बारे में किसानों को समझाने की कोशिश की लेकिन हम सफल नहीं हो पाए। इनसे किसानों को फायदा होता, इसके पीछे किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने की पीएम की स्पष्ट मंशा थी।
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केंद्रीय कृषि मंत्री ने आगे कहा, जीरो बजट खेती, एमएसपी, फसल विविधीकरण के मुद्दों पर कमेटी बनाई जाएगी। समिति में केंद्र/राज्य सरकारें, किसान, वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री होंगे। यह एमएसपी को प्रभावी और पारदर्शी बनाने और अन्य मुद्दों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
स्वागत योग्य कदम : तोमर
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इन सुधारों से पीएम ने कृषि में बदलाव लाने की कोशिश की थी। लेकिन कुछ स्थितियों के कारण कुछ किसानों ने इसका विरोध किया। जब हमने चर्चा का रास्ता अपनाया और उन्हें समझाने की कोशिश की, तो हम सफल नहीं हो सके। इसलिए प्रकाश पर्व पर पीएम ने कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला किया। यह स्वागत योग्य कदम है।
बता दें कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पिछले साल किसानों के साथ कई दौर की चली वार्ता में सरकार की ओर से बैठक में शामिल होने वाले मंत्री थे। कानून लागू होने से रद्द होने तक के समय में सरकार और किसानों के बीच लगभग 11 दौर की वार्ताएं हुई, जो पूरी तरह से विफल साबित हुईं।