मोदी सरकार ने पड़ोसी देश से आए अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का फैसला किया है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार के फैसले पर तंज कसा है। सरकार के फैसले के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को 1955 के नागरिकता अधिनियम के तहत भारतीय नागरिकता दी जाएगी।
ओवैसी ने कहा कि नागरिकता देने का काम तो भारत में पहले से ही हो रहा है। आप (केंद्र सरकार) पहले लंबी अवधि का वीजा देते हैं और फिर उन्हें (अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों को) नागरिकता मिलती है। आपको (सरकार) तो इस कानून को धर्म-तटस्थ बनाना चाहिए। सीएए को एनपीआर और एनआरसी से जोड़ना होगा।
NRC-NPR से जोड़ा जाए CAA
एआईएमआईएम प्रमुख ने आगे कहा कि सीएए को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से जोड़ा जाना है। सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई कर रहा है, देखते हैं क्या होता है।
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केंद्र सरकार ने सोमवार को एक बार फिर अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले और वर्तमान में गुजरात के दो जिलों में रह रहे हिंदुओं, सिखों, बौद्ध, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने का फैसला किया है। यह नागरिकता उन्हें नागरिकता कानून, 1955 के तहत दी जाएगी।