कोरोना वायरस (कोविड-19) के कारण लॉकडाउन के बीच देश में सभी धार्मिक स्थलों पर लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसी बीच ऑल मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने मुसलमानों से मस्जिदों में जुमे की नमाज अदा नहीं करने की अपील की है।
एआईएमपीएलबी ने गुरुवार देर रात ट्वीट किया, "कोरोनावायरस महामारी के कारण मुसलमानों से मस्जिदों के बजाय घर में जुहूर करने की सिफारिश की जाती है। सामूहिक नमाज अदा करने के लिए बाहर नहीं निकलें। घर पर रहें, सुरक्षित रहें। साथी नागरिकों को नुकसान से बचाने के लिए ऐसा करना जरूरी है।"
इसके साथ ही अन्य मुस्लिम निकायों ने भी यही अपील की है। दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा, आज, दुनिया को कोरोनो वायरस की कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। यह सभी एहतियाती उपाय करने का समय है। मैं सभी मुसलमानों से अपील करता हूं कि वे अपने घरों से शुक्रवार की नमाज सहित सभी नमाज अदा करें।#कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के कारण सभी मुस्लिम मस्जिदों में जुमे की नमाज अदा करने के बजाय घर पर ही ज़ोहर की नमाज़ अदा करें। अपने साथी नागरिकों को हानि पहुंचाने से बचने के लिए यह अनिवार्य है।#StayAtHomeSaveLives#NoJumahInMasjid
— All India Muslim Personal Law Board (@AIMPLB_Official) March 27, 2020
जमात-ए-इस्लामी शरिया ने कहा था कि जुमे की नमाज इमाम, मुएजिन, खदीम और मस्जिद के प्रशासकों द्वारा की जानी चाहिए। आम लोगों को 'जौहर' नमाज घर पर अदा करनी चाहिए। शिया समुदाय के धर्मगुरुओं ने भी अनुयायियों से घर में बने रहने की अपील की है।
मुंबई के इमाम मौलाना अशरफ ने कहा, "हमने पिछले सप्ताह से जुमे की नमाज और रोज की नमाज स्थगित कर रखी है। जैसा कि मुख्य उद्देश्य मानव जीवन बचाना और सरकार के निर्देशों का पालन करना है यह व्यवस्था जब तक सरकार चाहेगी तब तक जारी रहेगी।
हम लोगों से मस्जिद के लाउडस्पीकर और सोशल मीडिया के जरिए घरों में रहने की अपील कर रहे हैं।" कश्मीर के मुफ्ती नसीर-उल-इस्लाम ने कहा कि उन्होंने भी जुमे की नमाज और रोज की नमाज स्थगित करने की अपील की है और इस्लाम ऐसा करने की इजाजत देता है।