वायु सेना प्रमुख और एयर चीफ मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया ने गुरुवार को प्रयागराज में मध्य वायु कमान मुख्यालय का दौरा किया और कमांडरों से सुरक्षित उड़ान वातावरण सुनिश्चित करने के लिए अपनी कोशिश जारी रखने की अपील की। उन्होंने नवाचार, आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण के माध्यम से भारतीय वायुसेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाने की जरूरत पर भी जोर दिया।
भारतीय वायु सेना ने शुक्रवार को ट्वीट कर बताया कि वायु सेना प्रमुख भदौरिया ने वार्षिक सीडीआरएस सम्मेलन के लिए मध्य वायु कमान मुख्यालय का दौरा किया। उन्होंने कमांडरों से सुरक्षित उड़ान वातावरण सुनिश्चित करने के लिए अपने प्रयास जारी रखने की अपील की। आईएएफ ने एक ट्वीट में कहा, ‘सीएएस ने परिचालन तैयारियों को बढ़ाने, रखरखाव पर ध्यान केंद्रित करने और मजबूत भौतिक और साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण विश्लेषण की जरूरत पर जोर दिया।’
Air Chief Mshl RKS Bhadauria #CAS visited HQ Central Air Command (CAC) on 16 Sep, for the annual Cdrs Conference. CAS emphasized the need for critical analysis to enhance op preparedness, focus on maintenance practices & ensure robust physical & cyber security. pic.twitter.com/MnFCq6jWKG
— Indian Air Force (@IAF_MCC) September 17, 2021
वायुसेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाने पर दिया जोर
भारतीय वायु सेना ने बताया, ‘सीएएस ने कमांडरों से सुरक्षित उड़ान वातावरण सुनिश्चित करने के लिए अपने प्रयासों को जारी रखने की अपील की और नवाचार, आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण के माध्यम से भारतीय वायुसेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।’
इससे पहले, आरकेएस भदौरिया ने बताया था कि भारतीय वायुसेना अगले दो दशकों में करीब 350 विमानों की खरीद पर विचार कर रही है। वायुसेना प्रमुख ने कहा कि उत्तरी पड़ोसी देश को देखते हुए, हमारे पास आला दर्जे की टेक्नोलॉजी होनी चाहिए, जिन्हें सुरक्षा कारणों से हमारे अपने उद्योग द्वारा देश में ही बनाया जाना चाहिए।
विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने पर जोर देते हुए एयर चीफ मार्शल भदौरिया ने कहा था कि भारतीय वायुसेना अगले दो दशकों में देश से ही लगभग 350 विमान खरीदने पर विचार कर रही है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह एक मोटा-मोटा अनुमान है। वायुसेना प्रमुख ने कहा कि तेजस हल्के लड़ाकू विमान परियोजना ने भारत में एयरोस्पेस उद्योग में भरोसा पैदा किया है और यह भी विश्वास जगाया है कि इसके और विकसित होने की असीम संभावनाएं हैं।