टाटा संस ने घाटे में चल रही सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया के लिए बोली जीत ली है। अब टाटा ग्रुप्स एयर इंडिया का नया मालिक होगा। मंत्रियों के एक पैनल ने एयरलाइन के अधिग्रहण के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। कंपनी ने इस सरकारी एयरलाइंस के लिए सबसे अधिक 18,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई। इसी के साथ अब टाटा संस के पास देश में 3 एयरलाइंस होंगी। आपको बता दें कि मोदी सरकार ने जुलाई 2017 में एयर इंडिया के बिक्री का फैसला किया था और उसके बाद से लगातार कोशिश जारी थी। चार सालों की कोशिश के बाद एयर इंडिया को आज नया मालिक मिला।
स्पाइसजेट के अजय सिंह ने कितने की लगाई थी बोली ?
एयर इंडिया के लिए टाटा सन्स ने 18 हजार करोड़ की बोली लगाई जबकि स्पाइसजेट के अजय सिंह ने 15 हजार करोड़ की बोली लगाई है। माना जा रहा है कि यह ट्रांजैक्शन दिसंबर 2021 तक पूरा हो जाएगा। Talace Pvt Ltd के जरिए टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया के लिए बोली लगाई थी। इस कंपनी की स्थापना मुख्य रूप से इसी काम के लिए अगस्त 2020 में की गई थी। बता दें कि एयर इंडिया स्पेसिफिक अल्टरनेटिव मैकेनिज्म (AISAM) पैनल ने एयर इंडिया की फाइनेंशियल बोली पर फैसला लिया है। इस पैनल में गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत कई महत्वपूर्ण मंत्री और अधिकारी शामिल हैं।
5 साल तक रखना होगा ‘महाराजा’ का लोगो
एयर इंडिया का मालिकाना हक मिलने के बाद नए मालिक को इससे जुड़े नाम और लोगो को 5 साल तक संभाल कर रखना होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार Tata Sons चाहे तो 5 साल बाद एयर इंडिया के नाम और लोगो को ट्रांसफर कर सकती है, लेकिन इसमें एक शर्त रखी गई है कि ये नाम और लोगो किसी भारतीय इकाई या व्यक्ति को ही दिया जा सकेगा। कोई भी विदेशी व्यक्ति या इकाई इसे हासिल नहीं कर सकेगी।
एयर इंडिया के कर्ज का क्या होगा?
एयर इंडिया के कर्ज का क्या होगा इसको लेकर तुहीन कांत पांडेय ने कहा कि 2009-10 से सरकार ने एयर इंडिया को 1.10 लाख करोड़ से ज्यादा का वित्तीय समर्थन दिया है। यह एक तरीके से जनता के पैसे की बर्बादी थी, इसलिए सरकार ने इसे बेचने का फैसला किया है। टाटा संस एयर इंडिया में सरकार की 100 फीसदी हिस्सेदारी के बदले 15 हजार करोड़ कर्ज का वहन करेगी। इसके बाद भी एयरलाइन पर कुल कर्ज 42262 करोड़ का रह जाएगा। यह कर्ज AIAHL को ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
1932 में टाटा एयरलाइंस के नाम से हुई थी शुरुआत
एयर इंडिया की शुरुआत 1932 में टाटा ग्रुप ने ही की थी. जे. आर. डी. टाटा जो खुद एक कुशल पायलट थे, उन्होंने टाटा एयरलाइन्स के रूप में इसे शुरू किया था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारत से सामान्य हवाई सेवा की शुरुआत हुई और तब एयर इंडिया को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बना दिया गया। वर्ष 1947 में देश की आज़ादी के बाद एक राष्ट्रीय एयरलाइंस की जरूरत महसूस हुई और भारत सरकार ने Air India में 49% हिस्सेदारी अधिग्रहण कर ली। इसके बाद 1953 में भारत सरकार ने एयर कॉरपोरेशन एक्ट पास किया और सरकार ने टाटा ग्रुप से इस कंपनी में बहुलांश हिस्सेदारी खरीद ली। इस तरह एयर इंडिया पूरी तरह से एक सरकारी कंपनी बन गई।