पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि राजनीतिक फायदे के लिये अली और बजरंगबली में फर्क बताना ओझी मानसिकता का परिचायक है जिसे माफ नहीं किया जा सकता।
फतेहगढ़ लोक निर्माण विभाग तिराहा के निकट भीमराब अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद श्री खुर्शीद ने पत्रकारों से कहा कि अली-बजरंगबली दोनो में अंतर नहीं है, बल्कि आस्था से जुड़ हैं। इस पर राजनीति करना उचित नहीं है और जनता समय आने पर इसका जवाब देगी।
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उन्होने कहा कि भारत विभिन्न धर्मो का संगम है। जैसे गंगा-जमुना संगम पर मिलती हैं। इसी क्रम में अलग-अलग धर्म भी इस देश में मिलते हैं। अली और बजरंगबली दोनो का संवाद में आड़ नहीं आते। संवाद दिल का मानवता से होना चाहिये और हमें मानवता का सहारा लेना चाहिये। आस्था के अलग-अलग नाम और रुप होते हैं। आस्था का सम्मान हमारा समाज और संविधान करता है और हमारी भावनाएं नहीं बदल सकती हैं। हमें अपनी रक्षा एवं सुरक्षा में यह नहीं भूल जाना चाहिये की मानवता कानून में सबसे बड़ धर्म है।
श्री खुर्शीद ने कहा कि कश्मीर के साथ विशेष परिस्थितियों में समझौता किया गया था। हमारा संकल्प है कि कश्मीर हमसे अलग नहीं होना चाहिये। हम भारत की संप्रभुता के साथ किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेंगे। कश्मीर टूट जाने से हमारा चमन टूट जाएगा। उन्होने कहा कि सेना हमारी मजबूत है। सेना को पूर्ण रुप से अधिकार मानते हैं। युद्ध हो या शांति हो यह सब संविधान में है।
उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तानाशाही कर रहे हैं। चुनाव हार जाने के बाद यह तानाशाही उनकी खत्म हो जाएगी। भावनाएं नहीं बदल सकतीं हैं। चंदे के बारे में पूंछे जाने पर उन्होने कहा कि हम अपना चंदा दिखाने को तैयार हैं। मोदी जी इसे कैसे दिखायेंगे। 6000 रुपये महीने दिये जाने के प्रश्न पर उन्होने कहा कि जिस प्रकार प्रधानमंत्री 6000 रुपये साल दे रहे हैं उसी प्रकार कांग्रेस भी 6000 रुपये प्रति माह देगी। केवल हमें चैकीदार की कीमत नहीं देनी है।