कश्मीर के लिये केंद्र के विशेष प्रतिनिधि दिनेश्वर शर्मा ने आज कहा कि जम्मू कश्मीर में रहने वाले सभी भारतीय नागरिक वार्ता प्रक्रिया में हितधारक हैं और वह भविष्य में भी राज्य में आते रहेंगे। शर्मा अपनी जम्मू कश्मीर यात्रा के दूसरे चरण में कल शाम यहां पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि केंद्र ने उन्हें कश्मीर में शांति बहाल करने और कुछ समाधान ढूंढने का काम सौंपा है। यह पूछे जाने पर कि क्या वह बातचीत की प्रक्रिया में हुऱ्यित कान्फ्रेंस को हितधारक मानते हैं तो उन्होंने कहा, जम्मू कश्मीर में सभी भारतीय नागरिक हितधारक हैं। अधिकारियों ने बताया कि शर्मा को विभिन्न समूहों और राजनैतिक दलों के साथ विचार-विमर्श के लिये केंद्र ने पिछले महीने विशेष प्रतिनिधि नियुक्त किया था। शर्मा ने कल रात यहां प्रदेश के राज्यपाल एन एन वोहरा और मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से मुलाकात की थी और हितधारकों से संपर्क साधने के उपायों पर उनसे चर्चा की थी।
हुऱ्यित नेताओं से मिलने के मुद्दे पर उन्होंने कहा, देखते हैं। खुफिया ब्यूरो के पूर्व प्रमुख रहे शर्मा ने कहा, मैं बार-बार जम्मू कश्मीर की यात्रा करने वाला हूं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राज्य की उनकी यात्रा सफल रही है। वह घाटी में चार दिन बिताने के बाद कल यहां पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जी ए मीर और माकपा नेताओं समेत अन्य नेताओं से मुलाकात की थी।उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सत शर्मा के नेतृत्व वाले एक प्रतिनिधिमंडल से भी कल यहां मुलाकात की। शर्मा को कल राष्ट्रीय राजधानी लौटना है। शर्मा ने आज बार एसोसिएशन ऑफ जम्मू सहित विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों से भी मुलाकात की। इस दौरान रोहिंज्ञा मुसलमानों के कारण राज्य को खतरे से लेकर पश्चिम पाकिस्तान के शरणार्थियों के लिए नागरिकता तक के मुद्दे उठाए।
उन्होंने आज चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ जम्मू (सीसीआईजे), बार एसोसिएशन ऑफ जम्मू (बीएजे) और पश्चिम पाकिस्तान के शरणार्थियों से मुलाकात की। बहरहाल विस्थापित कश्मीरियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन पनून कश्मीर ने शर्मा के साथ बैठक का बहिष्कार किया। संगठन ने दावा किया कि आमंत्रण अपमानजनक तरीके से दिया गया। पश्चिम पाकिस्तान रिफ्यूजी फ्रंट के अध्यक्ष लाभ राम गांधी के नेतृत्व में शरणार्थियों के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि शर्मा को सूचित किया गया कि उनसे भेदभाव हुआ जबकि वे 70 वषो’ से राज्य में रह रहे हैं। लाभ राम ने कहा कि यह दुर्भाज्ञपूर्ण है कि उन्हें नागरिकता, रोजगार और वोट का अधिकार नहीं दिया गया। नागरिकता के अधिकार के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि समुदाय को अगर जम्मू-कश्मीर में अधिकार नहीं दिए जाते हैं तो उनका देश के किसी भी हिस्से में पुनर्वास किया जाना चाहिए। जम्मू क्षेत्र के चार जिलों में पिछले 70 साल से एक लाख से ज्यादा पश्चिम पाकिस्तानी शरणार्थी रह रहे हैं।
राकेश गुप्ता के नेतृत्व में सीसीआईजे के प्रतिनिधमंडल ने बेरोजगारी और विकास के मुद्दे उठाए।
जम्मू-कश्मीर के लिए प्रतिनिधि की नियुक्ति किए जाने का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि शांति और विकास के लिए सतत् नीति होनी चाहिए और वार्ताकार या कार्यकारी समूहों की अनुशंसाओं को महज कागज का टुकड़ नहीं माना जाना चाहिए बल्कि लोगों की महत्वाकांक्षाओं के तौर पर लिया जाना चाहिए। रोहिंज्ञा मुसलमानों के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि समुदाय के सदस्यों को वापस भेजे जाने के लिए वे लोग आंदोलन कर रहे हैं क्योंकि वे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं। गुप्ता ने बेरोजगारी की समस्या को उजागर करते हुए कहा कि क्षेत्र में कुछ उद्योगों और बीपीओ का गठन करने से रोजगार के अवसर सृजित होंगे और क्षेत्र में पर्यटक स्थलों का विकास होगा।
अध्यक्ष बी एस सलाथिया के नेतृत्व में बीएजे के प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाया कि म्यामांर और बांग्लादेश के शरणार्थियों का विथ पोषण कश्मीर के कुछ आतंकवादी संगठन कर रहे हैं और शरणार्थियों की बाढ़ आने से क्षेत्र की जन सांख्यिकी की स्थिति बदल गई है। उन्होंने मांग की कि लखनपुर अंतर राज्यीय टर्मिनल पर कर संग्रह रोका जाना चाहिए ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य एक देश,एक कर व्यवस्था का हिस्सा बन सके। पनून कश्मीर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आरोप लगाया कि निमंत्रण देने के तरीके से वार्ता करने में अरूचि प्रतीत हो रही थी और वार्ता के लिए आमंत्रित लोगों के प्रति यह अपमानजनक था।