इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज रंगनाथ पांडे ने हाईकोर्टों तथा सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति में परिवारवाद और जातिवाद का गंभीर आरोप लगते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। जस्टिस पांडे ने लिखा है कि लोकतंत्र के 3 स्तंभों में से सर्वाधिक महत्वपूर्ण न्यायपालिका वंशवाद और जातिवाद से बुरी तरह ग्रस्त है।
जजों की नियुक्ति में कोई निश्चित मापदंड नहीं है और प्रचलित कसौटी सिर्फ परिवारवाद और जातिवाद है। जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने लिखा है कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों का चयन बंद कमरों में चाय की दावत पर किया जाता है, जिसका मुख्य आधार जजों की पैरवी और उनका पसंदीदा होना ही है।
उन्होंने लिखा कि यहां न्यायाधीशों के परिवार का सदस्य होना ही अगला न्यायाधीश होना सुनिश्चित करता है। जस्टिस पांडेय का कहना कि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अनेक मापदंड हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में ऐसी कोई निश्चित कसौटी नहीं है। यहां एक ही मापदंड है परिवारवाद और भाई-भतीजावाद।
साथ ही उन्होंने लिखा है, ‘राजनीतिक-कार्यकर्ता का मूल्यांकन अपने कार्य के आधार पर ही चुनाव में जनता द्वारा किया जाता है। प्रशासनिक अधिकारी को सेवा में आने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओँ की कसौटी पर उतरना होता है। अधीनस्थ न्यायालय के न्यायाधीशों को भी प्रतियोगी परीक्षाओं में योग्यता सिद्ध करके ही चयनित होने का अवसर मिलता है।
लेकिन हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए हमारे पास कोई निश्चित मापदंड नहीं है। प्रचलित कसैटी है तो केवल परिवारवाद और जातिवाद।’