देश की राजधानी नई दिल्ली में इंडिया गेट पर पिछले 50 साल से जल रही अमर जवान ज्योति का शुक्रवार को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही लौ में विलय कर दिया गया। अमर जवान ज्योति की स्थापना उन भारतीय सैनिकों की याद में की गई थी जोकि 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे। इस युद्ध में भारत की विजय हुई थी और बांग्लादेश का गठन हुआ था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को इसका उद्घाटन किया था।
विपक्ष हमलावर
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के अस्तित्व में आने के बाद दो साल पहले अमर जवान ज्योति के अस्तित्व पर सवाल उठाया गया था। यह एसलिए, क्योंकि सवाल उठाए जा रहे थे कि अब जब देश के शहीदों के लिए नेशनल वॉर मेमोरियल बन गया है, तो फिर अमर जवान ज्योति पर क्यों अलग से ज्योति जलाई जाती रहे। इसे लेकर राजनीति भी तेज हो गई है औऱ कांग्रेस तथा कई विपक्षी नेताओं ने इसे लेकर सवाल उठाए हैं और सरकार पर हमला बोला है। वहीं सरकार ने भी सफाई दी है।
विपक्ष को निशाने पर लेते हुए केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने कहा, 'जिन्होंने... जवानों द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक का प्रमाण मांगा शहीदों को समर्पित प्रथम राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि नहीं दी सुना है, वो आज राष्ट्रभक्ति का पाठ पढ़ा रहे है! कोई कह दे उनसे, सच्चे राष्ट्रभक्त ‘भारत के टुकड़े’ का नारा लगाने वालों का समर्थन नहीं करते।'
लगेगी नेताजी की प्रतिमा
इंडिया गेट पर स्थित अमर जवान ज्योति की लौ को राष्ट्रीय समर स्मारक पर जल रही लौ के साथ विलय के बाद यहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगेगी। 125वीं जयंती से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को घोषणा की कि देश के इस महान सपूत के प्रति आभार के प्रतीक के रूप में इंडिया गेट पर उनकी ग्रेनाइट की एक प्रतिमा लगाई जाएगी। प्रधानमंत्री की यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब इंडिया गेट पर स्थित अमर जवान ज्योति की लौ के विलय किए जाने को लेकर केंद्र सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर है।