केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने सोमवार को कहा कि सरकारी कंपनी कोल इंडिया के निजीकरण का सरकार का कोई इरादा नहीं है। यह बयान तब दिया गया है जब सरकार ने कोयला खनन क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिये खोलने की तैयारी कर ली है। कोयला मंत्री ने कहा, भारत सरकार का कोल इंडिया लिमिटेड के निजीकरण का इरादा नहीं है। इसके बजाय, सरकार कोल इंडिया को मजबूत कर रही है और ये प्रयास आगे भी जारी रहेंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार ने कोल इंडिया के लिये बुनियादी सुविधायें विकसित करने को लेकर आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 50,000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है। यह घोषणा 2023-24 तक कोल इंडिया को एक अरब टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने में मदद करेगी। घरेलू कोयले के उत्पादन में कोल इंडिया की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से अधिक है।
उन्होंने कहा, यह कोल इंडिया के लिये नयी खानें खोलने और देश का कोयला आयात कम कर मूल्यवान विदेशी मुद्रा की बचत बढ़ाने का एक अवसर है।’’ उन्होंने कहा कि कोल इंडिया निकट भविष्य में सालाना 10 करोड़ टन आयातित कोयले की भरपाई करेगी।
बता दें, बीते शनिवार को वित्त मंत्री निर्मली सीतारणण ने आर्थिक पैकेज की पांचवी किस्त में बारे में जानकारी देते हुए बताया था कि सरकार कोयला खान क्षेत्र से बाहर पहुचाने के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिये 50,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। उन्होंने कहा कि कोयला गैसीकरण और द्रवीकरण को राजस्व साझेदारी में छूट के माध्यम से प्रोत्साहित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि कोयला बेड मीथेन (सीबीएम) के उत्पादन को भी प्रोत्साहित किया जायेगा।