केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण पर ‘नो मनी फॉर टेरर’ विषय पर आयोजित तीसरे मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने आतंकवाद के वित्त पोषण को आतंकवाद से बड़ा खतरा बताते हुए कहा कि इसे किसी धर्म, राष्ट्रीयता या समूह से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
अमित शाह ने कहा, अगस्त 2021 के बाद, दक्षिण एशियाई क्षेत्र में स्थिति में व्यापक परिवर्तन हुए हैं। सत्ता में बदलाव, और आईएसआईएस और अल कायदा के प्रभाव में वृद्धि क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। नए समीकरणों ने टेरर फंडिंग के मुद्दे को और भी गंभीर बना दिया है।
उन्होंने कहा कि आतंकवादी हिंसा फैला रहे हैं, युवाओं को कट्टरपंथी बना रहे हैं और वित्तीय स्रोतों के नए रास्ते खोज रहे हैं। अपनी पहचान छुपाने और कट्टरपंथी सामग्री फैलाने के लिए आतंकवादी डार्क नेट का इस्तेमाल कर रहे हैं। क्रिप्टोकरेंसी जैसी आभासी संपत्ति का उपयोग भी बढ़ रहा है।
अमित शाह ने कहा, हमें डार्क नेट पर होने वाली ऐसी गतिविधियों के पैटर्न का विश्लेषण और समझना होगा और उनका समाधान खोजना होगा। दुर्भाग्य से, कुछ ऐसे देश हैं जो आतंकवाद से निपटने के हमारे सामूहिक संकल्प को कमजोर या नष्ट करना चाहते हैं।
उन्होंने आगे कहा, हमने अक्सर देखा है कि कुछ देश आतंकवादियों को ढाल देते हैं और उन्हें शरण देते हैं। एक आतंकवादी को पनाह देना आतंकवाद को बढ़ावा देने के बराबर है। ऐसे तत्व और ऐसे देश अपने मंसूबों में कामयाब न हों, यह देखना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।
आतंकवाद को किसी धर्म, राष्ट्रीयता या समूह से नहीं जोड़ा जा सकता
अमित शाह ने कहा, निस्संदेह, आतंकवाद वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा है। लेकिन मेरा मानना है कि आतंकवाद का वित्तपोषण आतंकवाद से भी ज्यादा खतरनाक है क्योंकि इस तरह के वित्तपोषण से आतंकवाद के ‘साधन और तरीके’ पोषित होते हैं। इसके अलावा, आतंकवाद का वित्तपोषण दुनिया के देशों की अर्थव्यवस्था को कमजोर करता है। हम यह भी मानते हैं कि आतंकवाद के खतरे को किसी धर्म, राष्ट्रीयता या समूह से नहीं जोड़ा जा सकता है।