कृषि कानूनों को लेकर जारी किसानों का आंदोलन आज 9 वें दिन यानी शुक्रवार को भी जारी रहा। सिंघु बॉर्डर से भारतीय किसान यूनियन के जनरल सेक्रेटरी 5 दिसंबर को मोदी सरकार और कॉर्पोरेट घरानों के पुतले पूरे देश में फूंके जाएंगे। 7 तारीख को सभी वीर अपने मेडलों को वापिस करेंगे। 8 तारीख को हमने भारत बंद का आह्वान किया है व एक दिन के लिए सभी टोल प्लाज़ा फ्री कर दिए जाएंगे।
अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा इसे सिर्फ पंजाब आंदोलन बोलना सरकार की साजिश है मगर आज किसानों ने दिखाया कि ये आंदोलन पूरे भारत में हो रहा है और आगे भी होगा। हमने फैसला लिया है कि अगर सरकार कल कोई संशोधन रखेगी तो हम संशोधन स्वीकार नहीं करेंगे।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा यदि सरकार हमारी मांगों को कल बैठक में स्वीकार नहीं करती है, तो हम नये कृषि कानूनों के खिलाफ अपना आंदोलन तेज कर देंगे। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को कहा कि किसानों को उम्मीद है कि पांच दिसंबर को पांचवें चरण की वार्ता के दौरान सरकार उनकी मांगें मान लेगी और ऐसा नहीं होने पर नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा।
किसानों को आशंका है कि नए कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। हालांकि, सरकार ने कहा है कि नए कानून से किसानों के लिए नए अवसर के द्वार खुलेंगे और कृषि क्षेत्र में नयी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल होगा।
कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर हो रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए बॉर्डर पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात है। वहीं कृषि कानूनों के खिलाफ नोएडा के राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल में किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। बिजनौर से एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हम पंजाब के किसानों के समर्थन में आए हैं, जब तक कानून वापस नहीं होते हम नहीं जाएंगे।”
सिंघु बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शनकारी डटे हुए हैं। एक किसान प्रदर्शनकारी ने बताया, “इन कानूनों को रद्द करने के लिए सभी राज्यों के किसान संगठनों को बुलाया जाए, प्रधानमंत्री खुद मीटिंग लें और कानूनों को रद्द करने का निर्णय लें।”
सरकार के साथ बृहस्पतिवार को बातचीत एक बार फिर बेनतीजा रहने के बाद, प्रदर्शन कर रहे किसानों के संगठन आगे की कार्रवाई को लेकर आज बैठक करेंगे। उत्तर प्रदेश के प्रदर्शनकारी किसानों ने ‘यूपी गेट’ के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-9 को जाम कर दिया है। वहीं पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली आने वाले दूसरे प्रवेश मार्गों पर डटे हैं। किसान संगठनों और केन्द्र के बीच अगले दौर की बातचीत शनिवार को हो सकती है।