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देश के शीर्ष पुलिस अधिकारियों का वार्षिक सम्मेलन आरंभ : महत्वपूर्ण मुद्दों पर होगी चर्चा

डीजीपी और आईजीपी स्तर के पुलिस अधिकारियों का सालाना सम्मेलन बुधवार को शुरू हुआ। अधिकारियों ने बताया कि आपदा और महामारी के दौरान पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका, साइबर अपराध, युवाओं के कट्टरवाद के रास्ते पर जाने जैसे कुछ महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी ।

डीजीपी और आईजीपी स्तर के पुलिस अधिकारियों का सालाना सम्मेलन बुधवार को शुरू हुआ। अधिकारियों ने बताया कि आपदा और महामारी के दौरान पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका, साइबर अपराध, युवाओं के कट्टरवाद के रास्ते पर जाने जैसे कुछ महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी । 
सभी राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और केंद्र सरकार के डीजीपी और आईजीपी स्तर के करीब 250 अधिकारी खुफिया ब्यूरो द्वारा डिजिटल तरीके से आयोजित चार दिवसीय सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, एनएसए अजित डोभाल समेत अन्य अधिकारी इसमें शिरकत कर रहे हैं। 
केंद्रीय गृह मंत्री शाह के कार्यालय ने ट्वीट किया, ‘‘केंद्रीय गृह मंत्री ने नयी दिल्ली में आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अखिल भारतीय डीजीपी-आईजीपी सम्मेलन-2020 के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। गृह मंत्री ने डिजिटल तरीके से बहादुर अधिकारियों को उनकी विशिष्ट सेवा के लिए पुलिस पदक से भी सम्मानित किया।’’ 
कोरोना वायरस महामारी के बीच देश के शीर्ष पुलिस अधिकारियों का सम्मेलन पहली बार डिजिटल तरीके से आयोजित हो रहा है। 
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अलग-अलग सत्र में आपदा, महामारी, साइबर अपराध, युवाओं के कट्टरता के रास्ते पर जाने और जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद समेत कई अन्य मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा। 
उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान पुलिस की भूमिका की हर तरफ सराहना हुई है, ऐसे में बैठक में इस पर भी चर्चा होगी कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए कैसे उनकी समझ और क्षमता को बढ़ायी जाए। 
राज्यों के पुलिस प्रमुख महामारी से निपटने में अपने अनुभवों को साझा करेंगे और बताएंगे कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान संकट में फंसे लोगों और प्रवासी मजदूरों की किस तरह मदद की गयी। 
एक अनुमान के मुताबिक देश में करीब 80,000 पुलिसकर्मी और अर्द्धसैन्यकर्मी कोविड-19 से संक्रमित हुए और वायरस से जूझते हुए करीब 650 कर्मियों की जान चली गयी। 
वर्ष 2014 के बाद से डीजीपी और आईजीपी की बैठकों का प्रारूप, आयोजन स्थल, विचार-विमर्श का विषय लगातार बदलते रहा है। वर्ष 2014 के पहले मुख्य रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा के मसलों पर ही विचार-विमर्श किया जाता था। 
इस साल डिजिटल तरीके से सम्मेलन के आयोजन के कारण प्रत्येक राज्यों से सभी स्तर के अधिकारियों की भागीदारी भी बढ़ी है । 
विभिन्न क्षेत्रों के वक्ताओं को भी आमंत्रित किया गया है। इसमें प्रबंधन (आशीष नंदा), साइबर सुरक्षा (संजय काटकर), आधुनिक विधि विज्ञान (जे एम व्यास), कट्टरवाद विषय पर (मार्क सगेमन, अमेरिका) समेत अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञ हैं । 
हर साल डीजीपी और आईजीपी अधिकारियों का सम्मेलन होता है जिसमें राज्यों और केंद्र के अधिकारी महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श करते हैं । नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार 2014 में सत्ता में आने के बाद से राष्ट्रीय राजधानी के बाहर इसका आयोजन कर रही है । 
इससे पिछला सम्मेलन गुवाहाटी, गुजरात में कच्छ का रण, हैदराबाद, मध्यप्रदेश में टेकनपुर, गुजरात के केवडिया और महाराष्ट्र के पुणे में आयोजित हुआ था।

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