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भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत का एक और समुद्री परीक्षण शुरू, अगस्त में NAVY में होगा शामिल

देश में निर्मित प्रथम स्वदेशी विमानवाहक पोत (आईएसी) विक्रांत के अगस्त में भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने से पहले समुद्र में जटिल युद्धाभ्यास के लिए रविवार को एक और परीक्षण शुरू किया।

देश में निर्मित प्रथम स्वदेशी विमानवाहक पोत (आईएसी) विक्रांत के अगस्त में भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने से पहले समुद्र में जटिल युद्धाभ्यास के लिए रविवार को एक और परीक्षण शुरू किया। चालीस हजार टन वजनी इस विमानवाहक पोत ने गत वर्ष अगस्त में पांच दिवसीय पहली समुद्री यात्रा सफलतापूर्वक पूरी की थी और गत वर्ष अक्टूबर में 10-दिवसीय समुद्री परीक्षण किया था। भारत में बनने वाला यह सबसे बड़ा और सबसे जटिल युद्धपोत है। नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक माधवाल ने कहा, आईएसी अब जटिल युद्धाभ्यास करने के लिए रवाना हुआ है, ताकि विशिष्ट रीडिंग स्थापित की जा सके कि पोत विभिन्न परिस्थितियों में कैसा प्रदर्शन करता है। उन्होंने कहा, इस दौरान जहाज के विभिन्न सेंसर सूट का भी परीक्षण किया जाएगा। इस युद्धपोत का निर्माण लगभग 23,000 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है और इसके निर्माण ने भारत को उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल कर दिया है जिनके पास अत्याधुनिक विमानवाहक पोत बनाने की क्षमता है। 
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति इस युद्धपोत को देखने गये थे : कमांडर
कमांडर ने बताया कि, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू हाल ही में कोच्चि में इस युद्धपोत को देखने गये थे। उन्होंने कहा, दो हफ्ते से भी कम समय के भीतर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की लगातार दो हाई प्रोफाइल यात्राओं के बाद आईएसी विक्रांत का अगले सेट का समुद्री परीक्षण किया जा रहा है। उन्होंने कहा, दोनों गणमान्य व्यक्तियों ने प्रगति की समीक्षा करने के बाद अपनी संतुष्टि व्यक्त की थी और परियोजना में शामिल सभी हितधारकों को शुभकामनाएं दी थीं। यद्यपि प्रथम समुद्री परीक्षण प्रणोदन, नौवहन सूट और बुनियादी संचालन स्थापित करने के लिए थे। दूसरे समुद्री परीक्षण में जहाज को विभिन्न मशीनरी और उड़ान परीक्षणों पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
वर्तमान में केवल एक विमानवाहक पोत है 
विशाखापत्तनम स्थित डीआरडीओ सुविधा केंद्र ‘नौसेना विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला’ के कई वैज्ञानिक विक्रांत के तीसरे चरण के समुद्री परीक्षणों की निगरानी कर रहे हैं। यह युद्धपोत लड़ाकू जेट मिग-29के, कामोव-31 हेलीकॉप्टर, एमएच-60आर बहु-उद्देश्यीय हेलीकॉप्टर संचालित करेगा। इसमें 2,300 से अधिक कंपार्टमेंट हैं, जिन्हें लगभग 1700 लोगों के दल के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें महिला अधिकारियों को समायोजित करने के लिए विशेष केबिन भी शामिल हैं। युद्धपोत कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) द्वारा बनाया गया है। भारत के पास वर्तमान में केवल एक विमानवाहक पोत है – आईएनएस विक्रमादित्य। हिंद महासागर क्षेत्र में सैन्य उपस्थिति बढ़ाने के चीन के बढ़ते प्रयासों को देखते हुए भारतीय नौसेना अपनी समग्र क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

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