पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने शनिवार को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में उनकी आवाज दबाए जाने का आरोप लगाया। उन्होंने बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र भी लिखा। मित्रा के इन आरोपों पर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने स्पष्ट किया है कि अमित मित्रा ने कोई बात नहीं की।
अनुराग ठाकुर ने मित्रा के लिखे पत्र का जिक्र करते हुए सिलसिलेवार ट्वीट किए और कहा कि ऐसा तो कभी नहीं हुआ और मित्रा जैसे वरिष्ठ नेता का ऐसा दावा करना अनुचित है। पिछले दो सालों में राज्य मंत्री के रूप में उन्होंने जीएसटी काउंसिल की बैठक के दौरान वित्त मंत्री सीतारमण को किसी की भी बात को अनसुना करते हुए नहीं देखा।
उन्होंने कहा, “सीतारमण ने धैर्य के साथ सभी को जितना जरूरी है, बोलने का पूरा समय दिया है, फिर भले ही इससे चर्चा लंबे समय तक ही क्यों नहीं चली हो।” जीएसटी काउंसिल की बैठक स्वस्थ तरीके से बहस के प्रति सभी राज्यों की सामूहिक भावना का प्रतीक है, यह रहा है और जारी रहेगा।
उन्होंने कहा कि बैठक के बाद जब वित्त मंत्री सीतारमण ने काउंसिलके सदस्यों से पूछा कि क्या कोई बोलना और अपनी टिप्पणी करना चाहेगा, तो मित्रा जी चुप रहे और कुछ नहीं बोले। गौरतलब है कि कल हुई बैठक के बाद मित्रा ने केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण को लिखे पत्र में कहा, ‘‘जीएसटी परिषद द्वारा हमारी आवाज को दबाने का यह बिल्कुल जनविरोधी फैसला है। जन प्रतिनिधि होने के नाते इस कठोर फैसले को उचित ठहराने का हमारे पास कोई रास्ता नहीं है।’’
इन फैसलों के खिलाफ अपनी ‘‘असहमति’’ दर्ज कराते हुए मित्रा ने कहा कि उन्होंने अपनी आपत्ति दर्ज कराने की भरपूर कोशिश की लेकिन बैठक खत्म होने लगी और डिजिटल बैठक के लिए लिंक भी टूट गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कोविड -19 से लड़ने के लिए आवश्यक सामग्री पर जीएसटी के संबंध में दो रचनात्मक विकल्पों के उनके सुझावों पर भी ध्यान नहीं दिया गया।