पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज अधिवेशन भवन में विकास प्रबंधन संस्थान के द्वितीय दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार सुशासन एवं न्याय के साथ विकास के सिद्धांत पर राज्य के विकास के लिए सार्थक प्रयास कर रही है, जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता शामिल है। सिर्फ कंप्यूटर ज्ञान और अक्षर ज्ञान से विकास के लक्ष्यों को पूरा नहीं किया जा सकता। इसके लिए बुनियादी ज्ञान का भी होना जरूरी है।
मेरे लिए विकास की परिकल्पना न्याय के साथ विकास का है, जिसमें समाज के सभी हिस्से, समुदाय और इलाकों का विकास बराबर हो और सभी विकास की मुख्य धारा में जुड़ सकें। बता दें कि मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार विकास प्रबंधन संस्थान के प्रेसिडेंट भी हैं। मुख्यमंत्री ने दीक्षांत समारोह में पोस्ट ग्रेजुएशन प्रोग्राम इन डिप्लोमा मैंनेजमेंट के तीसरे बैच के 24 युवा, होनहार और प्रशिक्षित छात्रों को डिप्लोमा सर्टिफिकेट दिया और उन्हें बधाई देते हुए कहा कि आज विकास की अवधारणा से पर्यावरण निकल चुकी है।
देश की आजादी के बाद विकास के प्रति ऐसी मानसिकता बनी, जिसने पर्यावरण की चिंता ही छोड़ दी। इसका नतीजा देखने को भी मिल रहा है। पहले गंगा नदी का पानी पीने लायक भी होता था, मगर अब नहाने लायक नहीं बचा। इसलिए विकास ऐसा हो कि पर्यावरण को भी नुकसान न हो और बुनियादी सुविधाओं को प्राप्त भी कर सकें। मुख्यमंत्री ने महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि चंपारण दौरे पर आसे गांधी जी ने लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया। शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक किया। आज भी इनके मायने हैं।
आज अगर खुले में शौच और बीमारियों से मुक्ति मिल जायेगा तो 90 प्रतिशत तक बीमारी कम जायेगी। स्वस्थ रह कर ही हम अपना और देश का विकास कर सकते हैं। स्वास्थ्य के लिए हमें ऐसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए, जो हमारे लिए नुकसानदायक हो। इसकी पहल भी हमने की, मगर कुछ मुठ्ठी भर लोगों को इससे परेशानी है।उन्होंने कहा कि हम पूरे समाज का एक समान विकास चाहते हैं।
इसके लिए सामाजिक तौर पर पिछड़े लोगों को बराबरी पर लाने की जरूरत है। इसके लिए वैसे लोगों को विशेष अवसर मिलना चाहिए। साथ ही आधी आबादी को भी विकास की मुख्य धारा से जोडऩा हमारा लक्ष्य है। ये तभी संभव होगा, जब वे भी पुरूषों के साथ आकर काम करेंगे। मगर हमारे समाज में महिलाएं घर के काम काज करें, ये धारणा रही है।
मगर इसे भी बदलना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें आज गांधी जी के विचारों को आत्मसात कर चलना होगा, क्योंकि उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं। हमें कुरीतियों से भी छुटकारा पाना होगा, तभी हम विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति की ओर बढ़ सकते हैं। इससे पहले कार्यक्रम की अध्यक्षता विकास प्रबंधन संस्थान के चेयरमैन सह पूर्व मुख्य सचिव श्री अनुप मुखर्जी ने की और अपने भाषण में कहा कि आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण है,
क्योंकि आज ही के दिन 101 वर्ष पूर्व चंपारण सत्याग्रह के दौरान महात्मा गांधी मोतिहारी में मजिस्ट्रेट के समझ उपस्थित होकर उच्चतर विधान और अपनी अंतरआत्मा की आवाज का पालन करने की बात कही थी। इसलिए दीक्षांत समारोह के लिए हमने इस दिन को चुना। विकास प्रबंधन संस्थान के लिए आदर्श और मूल्य सर्वोपरि है। वहीं, मुख्य अतिथि और संस्था प्रथम के माधव चौहान ने अपने उद्बोधन में छात्रों से कहा कि सीखने की ललक हमेशा बनी रहनी चाहिए, जो आपके विकास के लिए आवश्यक है।
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