भारत इस वक्त कोरोना महामारी के संकट से जूझ रहा है। इस बीच, रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मानवता के समक्ष संकट पैदा कर रही कोरोना वायरस की महामारी के खिलाफ लड़ाई ‘‘सबसे बड़ा अदृश्य युद्ध’’है और देश की सभी संस्थाओं के बीच उत्कृष्ट समन्वय के साथ भारत इस विषाणु का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बल और सैन्य साजोसामान कोरोना वायरस से पर्याप्त रूप से सुरक्षित हैं। सिंह ने कहा कि सेना के तीनों अंगों और उनके सामरिक साजोसामान को घातक संक्रमण से बचाने के लिए व्यापक कदम उठाए गए हैं और उन्हें सीमाओं पर चुनौती सहित किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए तैयार रखा गया है।
कोविड-19 पर मंत्री समूह का नेतृत्व कर रहे सिंह ने कहा कि बलों को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए श्रेष्ठ प्रोटोकॉल आक्रामकता के साथ क्रियान्वित किए जा रहे हैं जिससे कि वे अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर राष्ट्रीय संकट से निपटने में सक्रिय भूमिका निभा सकें। सिंह ने कहा, ‘‘मानवता के समक्ष संकट खड़ा कर रहे कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई हमारे जीवनकाल में संभवत: सबसे बड़ा अदृश्य युद्ध है जिसके हमारे स्वास्थ्य और राष्ट्र की आर्थिक सुरक्षा पर विभिन्न प्रभाव पड़ रहे हैं।’’ रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘एक राष्ट्र के रूप में हम युद्धस्तर पर लड़ रहे हैं।’’ रक्षा मंत्री ने इन आशंकाओं को भी खारिज किया कि महामारी भारत की अभियानगत तैयारियों पर असर डाल सकती है। नौसेना की पश्चिमी कमान में 26 नाविकों के कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद चिंताएं है।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 से सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय, स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी निर्देशों का सेना, नौसेना और भारतीय वायुसेना पूरी तरह पालन कर रही हैं। सिंह ने कहा, ‘‘एक देश के तौर पर कोविड-19 संकट से हम युद्धस्तर पर निपट रहे हैं और सरकार की सभी एजेंसियां समन्वय के साथ काम कर रही हैं। सशस्त्र बल कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में देश का सहयोग कर रहे हैं।’’ यह पूछने पर कि क्या महामारी से सेना के संचालन पहलुओं पर असर पड़ा है, सिंह ने कहा कि वे हर तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं और भारत की संप्रभुता की शत्रुओं से रक्षा करने के लिए हर स्थिति में सक्षम हैं। जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास स्थिति का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत शत्रुओं के लॉन्च पैडों पर खुफिया सूचना पर आधारित लक्षित हमले कर उन पर दबदबा बनाए हुए है। उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय सशस्त्र बल हर तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं और मैं आपको आश्वासन दे सकता हूं कि हर स्थिति में हम अपनी संप्रभुता की रक्षा करने के लिए तत्पर हैं।’’
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘पिछले दो हफ्ते से जैसा आपने नियंत्रण रेखा के पास जानकारी जुटाई होगी, हम शत्रुओं के लॉन्च पैडों पर खुफिया सूचना आधारित लक्षित हमले के कारण शत्रु पर भारी पड़ रहे हैं और भारतीय जमीन पर पैर रखने से पहले ही हम उनका सफाया कर रहे हैं।’’ कोरोना वायरस महामारी से निपटने में सशस्त्र बलों की भूमिका पर रक्षा मंत्री ने कहा कि इससे लड़ने में सशस्त्र बलों की संचार, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, चिकित्सकीय सहयोग और इंजीनियरिंग में महारत का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की प्रमुख रक्षा कंपनियों को वेंटिलेटर, मास्क, पीपीई और अन्य उपकरण बनाने के निर्देश दिए है ताकि कमी की समस्या का समाधान किया जा सके। सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस को रोकने के लिए सशस्त्र बल सैनिकों की आवाजाही कम करने, छुट्टियों पर पाबंदी लगाने और घर से काम करने जैसे उपाय कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी श्रेणी के अधिकारियों के लिए आवश्यक है कि अगर वे बाहर से आते हैं तो उन्हें 14 दिनों के पृथक वास में रखा जाएगा।
रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि जहाजों और पनडुब्बियों के लिए विशेष सावधानियां बरती जा रही हैं जहां भौतिक दूरी के नियमों का पालन करना कठिन है। उन्होंने कहा, ‘‘प्रत्येक सैन्यकर्मी से कहा गया है कि वे दैनिक आधार पर एक संपर्क डायरी बनाएं। सभी प्रशिक्षण बंद कर दिए गए हैं। अभियानों और खुफिया जानकारी जुटाने से जुड़ी शाखाओं जैसी इकाइयों को छोड़कर अन्य सभी शाखाओं के कर्मियों से घर से काम करने को कहा गया है।’’ सिंह ने कहा कि सीमाओं और सुदूर क्षेत्रों में तैनात सैनिक सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं क्योंकि वे बीमारी के संभावित वाहकों से दूर बिलकुल अलग-थलग हैं। सरकार वहां नए सैनिकों की तैनाती कर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है जिनमें संक्रमण के लक्षण नहीं होने के चिकित्सकीय प्रमाण है।
सिंह ने कहा, ‘‘मेरे विचार से, बलों में जिस तरह का अनुशासन है, उसे देखते हुए संक्रमण के प्रसार का जोखिम काफी कम है। हालांकि, हम हर आकस्मिक स्थिति से निपटने को तैयार हैं।’’रक्षा मंत्री ने कहा कि सशस्त्र बल अतिरिक्त पृथकवास केंद्र बनाने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और स्थिति से निपटने के लिए नए चिकित्सा प्रतिष्ठान तथा प्रयोगशालाएं स्थापित कर रहे हैं।उन्होंने कहा, ‘‘सशस्त्र बलों के भीतर चिकित्सा अधिकारी पहले ही 19 अस्पतालों और 4,182 बिस्तरों को सैन्यकर्मियों और आम लोगों के लिए समर्पित कर चुके हैं। अतिरिक्त 31 अस्पताल और 4,856 आईसीयू बिस्तर भी उपचार केंद्रों में परिवर्तित होने को तैयार हैं, जिससे कि और अधिक लोगों का इलाज किया जा सके।’’