वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पर लिखे एक लेख में कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वह महाभियोग को हथियार बनाकर जजों को डराने की कोशिश कर रही है।
वित्त मंत्री और पूर्व कानून मंत्री अरुण जेटली ने ब्लॉग में लिखा कि जज लोया के केस में कांग्रेस का झूठ साबित होने के बाद बदला लेने के लिए महाभियोग का प्रस्ताव पेश किया गया है। ये जजों को डराने धमकाने की कोशिश है। ये संदेश देने का तरीका है कि या तो हमारी मानो नहीं तो 50 सांसद आपको दुरुस्त करने के लिए काफी हैं।
वही ,सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के समर्थन में सफाई पेश करते हुए जेटली ने विस्तार से लिखा है कि लोगों के बीच में झूठ फैलाकर शाह को फंसाने की कोशिश की गई, जबकि कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया। जेटली ने उन दो लोगों का भी जिक्र किया है जिन्होंने शाह को 75 लाख रुपए रिश्वत देने का आरोप लगाया। जबकि वे दोनों कभी शाह से मिले ही नहीं। जेटली ने अपने बयान में लिखा है कि कथित सोहराबुद्दीन मुठभेड़ ऐसा मामला था जो वाकई कभी हुआ ही नहीं।
उन्होंने महाभियोग को एक गंभीर मामला बताते हुए लिखा है कि इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है। राजनीतिक दलों को इसकी गंभीरता समझनी चाहिए। वहीं 4 जजों की प्रेस कॉन्फ्रेस के मुद्दे का जिक्र करते हुए उन्होंने सवाल उठाया कि चारों विद्वान जजों ने जज लोया के मामले के तथ्यों की पूरी पड़ताल की थी ? उन्होंने केवल सुनवाई के लिए लिस्टिंग को मुद्दा बनाया। उन्होंने चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग को लेकर विपक्षी दलों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए लिखा कि राजनीतिक लड़ाईयों में न्यायपालिका को मोहरा बनाना उचित नहीं है।
आपको बता दे कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग की मुहिम तेज हो गई है. कांग्रेस समेत सात पार्टियों के नेता आज राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू से मिले और उन्हें 71 सांसदों के हस्ताक्षर वाला प्रस्ताव सौंपा। इनमें से सात सांसद रिटायर हो चुके हैं, इसलिए उन्हें नहीं गिना जाएगा। इसके बावजूद विपक्ष के पास जरूरी सांसदों का समर्थन है।
चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग लाने वाले प्रस्ताव पर कांग्रेस के अलावा एनसीपी, सीपीआई, सीपीएम, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और मुस्लिम लीग के सांसदों ने प्रस्ताव के नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं। चौंकाने वाली बात ये रही कि टीएमसी, डीएमके और आरजेडी जैसी सहयोगी पार्टियों के किसी भी सांसद ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किए। यहां तक कि ख़ुद कांग्रेस के ही सभी नेताओं ने इसपर हस्ताक्षर नहीं किए। इन नेताओं में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम भी शामिल हैं. कांग्रेस ने सफ़ाई दी कि मनमोहन सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री होने के नाते हस्ताक्षर नहीं किए. वहीं सहयोगी पार्टियां इस मसले पर मतभेद से इंकार कर रही हैं।
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