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प्रधानमंत्री मोदी के चाणक्य माने वाले अरुण जेटली से मिलने पहुंचे पीएम

भारत के राजनीतिक दृश्य-पटल पर चार दशक तक एक प्रखर और मुखर नेता तथा कुशल रणनीतिकार के रूप में छाए रहे सौम्य छवि के धनी इस व्यक्ति

मोदी सरकार में कौन-कौन लोग मंत्री बन रहे हैं अभी स्पष्ट नहीं है कि किस नेता को कौनसा मंत्री पद दिया जा सकता है।  सूत्रों के मुताबिक , मंत्री बनने वाले कई सांसदों को भी अबतक नरेंद्र-मोदी अमित शाह के फैसले का पता नहीं चल पाया है। इस बीच ताजा जानकारी ये है कि मंत्री बनने वाले सांसदों को गुरुवार सुबह फोन आ सकता है।  इस बीच पीएम मोदी अरुण जेटली का हाल-चाल जानने पहुंचे उनके घर पहुंचे।  जेटली ने बुधवार सुबह को कहा था कि वह खराब सेहत की वजह से सरकार में किसी भी जम्मेदारी से मुक्त रहना चाहते हैं।  
आपको बता दे कि भारत के राजनीतिक दृश्य-पटल पर चार दशक तक एक प्रखर और मुखर नेता तथा कुशल रणनीतिकार के रूप में छाए रहे सौम्य छवि के धनी इस व्यक्ति की भूमिका अभी खत्म भले न हुई हो पर लगता है कि स्वास्थ की समस्या ने उसे कुछ समय के लिए नेपथ्य में जरूर कर दिया है। भाजपा के नेता और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली (66) ने नयी सरकार के गठन की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुधवार को पत्र लिख कर कहा कि उन्हें कुछ समय के लिए अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने का समय दिया जाए। उन्होंने कहा है कि वे नयी सरकार में फिलहाल कोई जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते। 
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जेटली को कुछ लोग मोदी के वास्तविक ‘चाणक्य’ और 2002 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रुप में मोदी के कार्यकाल के शुरू में प्रदेश में हुये दंगो के बाद उनका ‘संकट का साथी’ कहते हैं। जेटली की तारीफ में मोदी उन्हें‘बेशकीमती हीरा’ बता चुके हैं। दिल्ली विश्व विद्यालय के छात्र संघ की राजनीति से मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश करने वाले जेटली पेशे से अधिवक्ता रहे हैं। वह शुरू से ही सत्ता के सूत्र संचालन को अच्छी तरह समझते रहे है। वह 1990 के दशक के आखिरी वर्षों से दिल्ली में मोदी के आदमी माने जाते थे। 
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गुजरात दंगों से जुड़ी मोदी की कानूनी उलझनों से पार पाने में उनको कानूनी सलाह देने वाले विश्वसनीय सलाहकार की भूमिका निभाने वाले जेटली बाद में मोदी के मुख्य योद्धा और सलाहकार के रूप में उभरे। जेटली अपने बहुआयामी अनुभव के साथ केंद्र में मोदी की पहली सरकार (2014-19) के मुख्य चेहरा रहे। सरकार की नीतियों और योजनाओं का बखान हो या विपक्ष की आलोचनाओं के तीर काटने की जरूरत, हर मामले में जेटली आगे दिखते रहे हैं। जेटली ने 2019 के आम चुनाव को जिस तरह ‘ स्थिरता और अराजकता’ के बीच चयन के तौर पर निरूपित कर भाजपा- राजग अभियान को एक कारगर हथियार दिया वह उनकी राजनीतिक समझ के पैनेपन का उदाहरण है। 
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पेट्रोलियम की कीमतों में उछाल हो, राफेल सौदा हो या माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की जटिलताएं, जेटली ने आम लोगों को उन्हें सरल शब्दों में प्रभावी तरीके से प्रस्तुत कर सरकार का बचाव किया। करीब दो दशक से लटके जीएसटी को अमलीजामा पहनाने में जेटली के राजनीतिक कौशल की भूमिका कम नहीं आंकी जा सकती है। इसी कौशल का परिणाम है कि जुलाई 2017 में जीएसटी लागू होने बाद जीएसटी परिषद में सारे प्रस्ताव सर्वसम्मति से अनुमोदित किए गए। जेटली ने ‘तीन तलाक’ विधेयक के मुद्दे पर सरकार का दृष्टिकोण सार्वजनिक किया। मोदी सरकार के वित्त विभाग की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के साथ सरकार के प्रवक्ता और भाजपा-एनडीए के पुरोधा की भूमिका निभाते हुए भी महंगी कलम, घड़ी और आलीशान कारों का उनका शौक कम नहीं हुआ । 
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सरकार में प्रधानमंत्री के साथ रसूख के अधार पर देखें तो जेटली एक तरह से उसमें नंबर-2 के महत्वपूर्ण किरदार में नजर आते थे। निर्मला सीतारमण, पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान जैसे कई मंत्री जेटली के ‘अपने’ माने जाते हैं। पार्टी के सभी प्रवक्ता जेटली के पास सलाह के लिए आते रहे हैं। उनके सहयोगी प्रकाश जावड़ेकर ने एक बार उन्हें ‘सुपर स्ट्रेटजिस्ट’ (उच्चतम रणनीतिकार) कहा था। मोदी ने 2014 की अमृतसर (पंजाब) की चुनाव रैली में जेटली को ‘बेशकीमती हीरा’ कहा था। यह बात अलग है कि उस चुनाव में जेटली वहां से हार गए। जेटली ने अमृतसरी छोले और कुल्चे का अपना स्वाद बनाए रखा। 
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जेटली मंत्री बनने से पहले राज्य सभा में काफी समय तक विपक्ष के नेता रहे। जेटली दिल्ली के सत्ता के गलियारों के पुराने चेहरे हैं। वह मीडिया जगत के चहते राजनीतिज्ञों में हैं क्योंकि वह मीडिया से बहुत खुला व्यवहार करते हैं। कई बार उनके बयानों के जरूरत से अधिक मुखर और अटपटा होने को लेकर आलोचनाएं भी हुईं। मोदी और जेटली का संबंध पुराना है। मोदी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक थे। जब उन्हें 90 के दशक के आखिर में भाजपा का महासचिव बनाया गया तो वह दिल्ली में 9, अशोक रोड पर जेटली के सरकारी बंगले में अलग से बनाए गए एक क्वार्टर में रहते थे। उस समय जेटली अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री थे। 
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समझा जाता है कि केशु भाई पटेल को गुजरात के मख्यमंत्री पद से दफा कर मोदी को मुख्यमंत्री बनाने की चाल में जेटली भी शामिल थे। 2002 के दंगों के समय और उसके बाद दिल्ली के मोर्चे पर मोदी का साथ देने में जेटली कभी विचलित नहीं दिखे। जेटली 2002 में पहली बार राज्य सभा में गुजरात से निर्वाचित हुए। समझा जाता है कि 2004 में मध्य प्रदेश में उमा भारती को हटा कर शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनवाने में जेटली की मूमिका थी। जेटली के पिता महाराज कृष्ण भी वकालत के पेशे में थे। वह विभाजन के समय लाहौर से भारत आ गए थे। जेटली ने दिल्ली में कानून की पढ़ाई की। इंदिरा गांधी सरकार की ओर से लागू आपातकाल के समय वह दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष थे। आपातकाल के खिलाफ विश्वविद्यालय में आंदोलन चलाने के आरोप में वह 19 माह जेल में रहे। 
आपातकाल खत्म होने बाद उन्होंने वकालत शुरू की। उन्होंने दिल्ली में एक्सप्रेस भवन को ढहाने के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर जगमोहन की पहल को चुनौती दी। इसी दौरान वह इंडियन एक्सप्रेस के मालिक रामनाथ गोयनका, अरुण शौरी और फाली नारीमन के नजदीक आए। इन्हीं संबंधों के बीच वह वीपी सिंह की निगाह में भी आ गए। वीपी सिंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें सरकार का अतिरिक्त सलिसिटर जनरल बनाया गया। वह उस समय यह पद पाने वाले सबसे युवा अधिवक्ता थे। वाजपेयी सरकार (1999) में उन्हें मंत्री बनाया गया। इस दौरान उन्होंने समय समय पर विधि, सूचना प्रसारण, विनिवेश, जहाजरानी और वाणिज्य एवं विभाग की जिम्मेदारी दी गयी। वर्ष 2006 में वह राज्य सभा में विपक्ष के नेता बने। इस दौरान उन्होंने मुद्दों पर अपनी स्पष्ट दृष्टि, चपल सोच और गहरी स्मृति के चलते कांग्रेस के नेताओं का भी सम्मान अर्जित किया। 
वर्ष 2014 में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की ऐतिहासिक जीत के बाद मोदी ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में वित्त, कंपनी मामलात का कार्यभार दिया। उन्हें बीच में रक्षा और सूचना प्रसार मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार भी दिया गया। लेकिन स्वास्थ्य की खराबी और पिछले साल गुर्दा प्रतिरोपण के कारण उन्हें 3 माह अवकाश लेना पड़ा था। वह इलाज के लिए अमेरिका गए थे इस कारण वह फरवरी 2019 में पहली मोदी सरकार का छठा और आखिरी बजट पेश नहीं कर सके थे। जेटली ने मोदी को लिखा है कि डाक्टरों ने उनकी स्वास्थ्य की बहुत सी चुनौतियों को दूर कर दिया पर वह अपनी सेहत पर ध्यान देने के लिये फिलहाल सरकारी दायित्व से दूर रहना चाहते है। पर इस दौरान उन्हें पर्याप्त समय मिलेगा जिसमें वह अनौपचारिक रूप से सरकार और पार्टी की मदद कर सकेंगे। 

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