वरिष्ठ IPS अधिकारी अरविंद कुमार को खुफिया ब्यूरो (आईबी) और सामंत कुमार गोयल को रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) का चीफ नियुक्त किया गया है।
कुमार कश्मीर और नक्सल मुद्दों के विशेषज्ञ माने जाते हैं। वहीं, गोयल के बारे में यह बताया जाता है कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक की योजना बनाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
‘आईबी’ और ‘रॉ’ के शीर्ष पदों के लिए बुधवार को यह नियुक्ति की गई। कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी एक आदेश के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने दो साल के निर्धारित कार्यकाल के लिए इन दोनों अधिकारियों की नियुक्तियों को अपनी मंजूरी दी।
कुमार 30 जून को आईबी की बागडोर संभालेंगे, जब राजीव जैन का कार्यकाल पूरा हो रहा है। वहीं, अनिल के. धस्माना का कार्यकाल पूरा होने के बाद गोयल ‘रॉ’ का प्रभार संभालेंगे।
आईबी आंतरिक खुफिया एजेंसी है, जबकि ‘रॉ’ विदेशों में भारत के लिए जासूसी करती है। असम- मेघालय कैडर के 1984 बैच के 59 वर्षीय आईपीएस अधिकारी कुमार फिलहाल आईबी में विशेष निदेशक हैं। वह 1991 से खुफिया ब्यूरो के साथ काम कर रहे हैं और वह मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास में भी सेवा दे चुके हैं। वह आईबी में जैन के बाद दूसरे वरिष्ठतम अधिकारी हैं।
गोयल पंजाब कैडर के 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह अभी ‘रॉ’ में विशेष सचिव हैं। उन्हें ‘इंटेलीजेंस एवं ऑपरेशन’ में काफी अनुभव है। उन्हें पंजाब में आतंकवाद और पाकिस्तान से जुड़े मुद्दे का विशेषज्ञ भी माना जाता है। उन्होंने 1990 के दशक में पंजाब में आतंकवाद को रोकने में अहम भूमिका निभाई थी।
सीबीआई के दो पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों — तत्कालीन सीबीआई निदेशक आलोक कुमार वर्मा और तत्कालीन विशेष निदेशक राकेश अस्थाना द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप-प्रत्यारोप की एक (सीबीआई) जांच में उनका नाम आया था।
मनोज प्रसाद नाम के एक आरोपी से रिश्वत लेने के आरोप को लेकर अस्थाना के खिलाफ सीबीआई ने मामला दर्ज किया था। मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से जुड़े एक मामले में प्रसाद से पूछताछ की गई थी।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय में दाखिल किए गए एक हलफनामे में सीबीआई के पूर्व डीआईजी एम.के. सिन्हा ने कहा था कि प्रसाद से पूछताछ के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार(एनएसए) अजीत डोभाल और गोयल का नाम सामने आया था।
रिश्वत लेने में अस्थाना की कथित संलिप्तता के मामले में प्रसाद को गिरफ्तार किया गया था।
सिन्हा ने कहा था, ‘‘मनोज प्रसाद के मुताबिक उनके पिता दिनेश्वर प्रसाद (जो संयुक्त सचिव पद से सेवानिवृत्त हुए) डोभाल से करीबी रूप से परिचित थे।
प्रसाद के दावे के अनुसार इस चीज ने उन्हें सीबीआई मुख्यालय के करीब लाया और उन्होंने हैरानगी जताई कि सीबीआई ने उन्हें कैसे उठा लिया जबकि डोभाल के साथ उनके करीबी संबंध थे।’’ सिन्हा ने प्रसाद के दावे का हवाला देते हुए यह कहा।