मुजफ्फरनगर : मुजफ्फरनगर और शामली दंगे में केस वापसी के योगी सरकार के फैसले पर सियासत तेज हो गई है. तमाम विपक्षी दलों ने इसे योगी सरकार की वोट बैंक की राजनीति करार दिया है. इस सांप्रदायिक दंगे में 63 लोगों की मौत हो गई थी और 50 हजार से भी ज्यादा लोग विस्थापित हो गए थे। दंगे में बीजेपी के विधायक संगीत सोम और सुरेश राणा भी आरोपी हैं। इन 131 मामलों में से 13 हत्या और 11 हत्या की कोशिश के हैं। इसके अलावा जिन मामलों को वापस लिया जा रहा है, उनमें से कई भारतीय दंड संहिता के मुताबिक जघन्य अपराधों से जुडे़ हैं।
योगी सरकार के इस फैसले को एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने हिंदुओं का तुष्टिकरण और दंगे के शिकार लोगों के साथ क्रूर मजाक करार दिया है। हमारे सहयोगी चैनल टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दिनों सीएम योगी आदित्यनाथ और बीजेपी एमपी संजीव बालियान के नेतृत्व में आए तीन खाप प्रतिनिधिमंडलों के बीच मुलाकात के बाद इन मुकदमों को वापस लेने की प्रक्रिया पर सहमति बनी थी। खापों के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के बाद सीएम ने आश्वासन दिया था कि वह विधिक राय के बाद आगे की कार्रवाई करेंगे। सीएम योगी ने जिलाधिकारियों से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी थी और इसके बाद केस प्रतिनिधिमंडल ने सीएम को बताया था कि दंगों के बाद 402 आगजनी के फर्जी मुकदमे दर्ज करवाए गए थे, जिनमें सौ से ज्यादा निर्दोष महिलाएं भी नामजद हैं। सांसद संजीव बालियान ने बताया कि सीएम से मिलने वालों में बालियान, अहलावत और गठवाला खाप के लोग शामिल थे। बालियान ने दावा किया कि दंगों के बाद वहां के लोगों ने घरों में रजाई में आग लगाकर यह दिखा दिया गया कि उनके घर में आगजनी हो गई है। उन्होंने बताया कि इसके एवज में पिछली सरकार ने उन्हें पांच-पांच लाख रुपये मुआवजा भी दे दिया। आगजनी की घटनाएं सिर्फ मुआवजा हासिल करने के लिए की गई थीं। इनमें 856 से ज्यादा लोग नामजद हैं।
पुलिस ने दबिश मारने के बाद अपनी तरफ से नौ मुकदमे दर्ज कर 250 लोगों को नामजद किया। ये सारे मुकदमे भी फर्जी हैं। इस बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मुजफ्फरनगर दंगे से जुड़े 131 मामलों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू होने पर इसे संविधान और आईपीसी का मजाक बताया है। उन्होंने कहा, ‘वे संविधान और आईपीसी का मजाक बना रहे हैं। यह दंगे के शिकार लोगों के साथ क्रूर मजाक है। सरकार को उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जिनकी वजह से (मुजफ्फरनगर में) 50 हजार लोग शरणार्थी हो गए। योगी सरकार हिंदुओं के तुष्टिकरण में लगी है। बीजेपी धर्म के आधार पर शासन कर रही न कि कानून के आधार पर। योगी सरकार उन लोगों को सम्मानित कर रही है जो गंभीर अपराधों में मुकदमों का सामना कर रहे हैं।
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