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ज्ञानवापी फैसले के बाद असदुद्दीन ओवैसी का बड़ा बयान, कहा- हम फिर से बाबरी वाले रास्ते पर

ज्ञानवापी मामले में वाराणसी की जिला अदालत ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि यह मामला सुनवाई योग्य है। जिला अदालत से ज्ञानवापी-शृंगार गौरी की सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है। कोर्ट ने अंजुमन इनाजतिया मस्जिद कमेटी की अर्जी खारिज कर दी है

ज्ञानवापी मामले में वाराणसी की जिला अदालत ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि यह मामला सुनवाई योग्य है। जिला अदालत से ज्ञानवापी-शृंगार गौरी की सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है। कोर्ट ने अंजुमन इनाजतिया मस्जिद कमेटी की अर्जी खारिज कर दी है। हिंदू पक्ष इसे अपनी जीत बता रहा है। अब इस मामले में असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि फैसले के बाद लगता है कि हम बाबरी मस्जिद की राह पर जा रहे हैं। 
ओवैसी ने कही बड़ी बात 
ओवैसी ने कहा, हमें इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में आवेदन करना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी फैसले के खिलाफ याचिका दायर करेगी। इस आदेश के बाद पूजा स्थल अधिनियम 1991 का कोई अर्थ नहीं रह जाता है। उन्होंने आगे कहा, इस फैसले के बाद अस्थिरता बढ़ेगी। हम बाबरी मस्जिद के रास्ते जा रहे हैं। जब बाबरी का फैसला सुनाया गया था, मैंने चेतावनी दी थी कि इससे परेशानी होगी।
ओवैसी ने किया बड़ा दावा 
ओवैसी ने दावा किया कि आस्था के आधार पर अयोध्या मामले का फैसला किया गया। बता दें कि जिला अदालत के फैसले के मद्देनजर पूरे यूपी में पुलिस अलर्ट पर थ। वहीं, वाराणसी में धारा 144 लागू कर दी गई। अब ओवैसी के साथ मुस्लिम पक्ष के लोग कह रहे हैं कि कोर्ट ने पूजा स्थल अधिनियम 1991 का पालन नहीं किया है।
क्या कहता है कानून 
वहीं पूजा स्थल अधिनियम की बात की जा रही है जिसमें कहा गया है कि आजादी से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता। अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करता है तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है और तीन साल की कैद हो सकती है। उस समय अयोध्या का मामला कोर्ट में था, इसलिए इसे इस कानून से बाहर रखा गया था। इस अधिनियम को लाने का उद्देश्य यह था कि जिस तरह अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद शुरू हुआ, वह अन्य जगहों पर न हो।

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