प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में दर्ज प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने का अनुरोध करने वाली कांग्रेस नेता पवन खेड़ा की अर्जी का शुक्रवार को असम और उत्तर प्रदेश सरकार ने विरोध किया।
असम और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने खेड़ा की अर्जी का विरोध करते हुए दावा किया है कि विपक्षी पार्टी अब भी अपने सोशल मीडिया खातों पर इसी ‘निचले स्तर’ को कायम रख रही है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने जुर्माना लगाते हुए इस अर्जी को खारिज करने का अनुरोध किया और इसे ‘‘गलत’’ और ‘‘दंड प्रक्रिया संहिता के तहत उपलब्ध सामान्य प्रक्रिया को नजरअंदाज करने का प्रयास बताया।’’
वहीं, असम सरकार ने कहा, ‘‘यह सूचित किया जाता है कि याचिकाकर्ता (खेड़ा) जिस राजनीतिक दल (कांग्रेस) से ताल्लुक रखते हैं वह, माननीय अदालत द्वारा मामले पर संज्ञान लिए जाने के बावजूद, अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल और अन्य सोशल मीडिया खातों पर उसी निचले स्तर पर कायम है।’’
दोनों राज्यों ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के माध्यम से उच्चतम न्यायालय में अपना जवाब दाखिल किया।
वहीं, प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चन्द्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में खेड़ा को मिली अंतरिम जमानत की अवधि 17 मार्च तक के लिए बढ़ा दी है।