देश में कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों पर लगातार हो रहे हमलों को लेकर केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई है। जिसके अनुसार स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वालों के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। इसमें मामले में किसी को दोषी पाया जाता है तो उसे 3 महीने से 7 साल तक की कैद हो सकती है।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी से देश को बचाने की कोशिश कर रहे स्वास्थ्यकर्मी दुर्भाग्य से हमलों का सामना कर रहे हैं। उनके खिलाफ हिंसा या उत्पीड़न की कोई घटना बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके लिए एक अध्यादेश लाया गया है, इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित अध्यादेश में स्वास्थ्यकर्मियों के घायल होने, सम्पत्ति को नुकसान होने पर मुआवजे का भी प्रावधान किया गया है। प्रस्तावित अध्यादेश के माध्यम से महामारी अधिनियम 1897 में संशोधन किया जाएगा। इससे स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कर्मियों की सुरक्षा तथा उनके रहने एवं काम करने की जगह को हिंसा से बचाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्यकर्मियों को गंभीर चोटों के मामले में आरोपी को 6 महीने से 7 साल तक की सजा हो सकती है। इसके साथ ही 1 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। महामारी रोग अधिनियम, 1897 में संशोधन और अध्यादेश लागू किया जाएगा। ऐसा अपराध अब संज्ञेय और गैर-जमानती होगा।
इस मामले में 30 दिनों के भीतर जांच की जाएगी। आरोपी को 3 महीने से 5 साल तक की सजा हो सकती है और 2 लाख रुपए तक की सजा होगी। यदि स्वास्थ्यकर्मियों के वाहनों या क्लीनिकों को नुकसान हुआ है, तो क्षतिग्रस्त संपत्ति का दोगुना बाजार मूल्य का मुआवजा अभियुक्तों से लिया जाएगा।