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चमोली ग्लेशियर दुर्घटना के असली कारणों को जानने के लिए कई अध्ययन जारी: प्रकाश जावड़ेकर

मंत्री प्रकाश जावडेकर ने सोमवार को राज्य सभा में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि यह हादसा ग्लेशियर स्खलन के कारण काफी मलबा और पानी आ जाने से हुई थी। लेकिन फिर भी इसके कारणों को और तफ्सील से जानने के लिए कार्य जारी है।

उत्तराखंड के चमोली जिले में हुई ग्लेशियर टूटने की दुर्घटना के असली कारणों को जानने के लिए कई तरह के अध्ययन किए जा रहे हैं। केन्द्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को राज्य सभा में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि यह हादसा ग्लेशियर स्खलन के कारण काफी मलबा और पानी आ जाने से हुई थी। लेकिन फिर भी इसके कारणों को और तफ्सील से जानने के लिए कार्य जारी है।
जावडेकर ने प्रश्न काल के दौरान समाजवादी पार्टी के रेवती रमण सिंह के पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि चमोली दुर्घटना ग्लेशियर स्खलन के कारण मलबा और पानी आ जाने के कारण हुई है लेकिन इसके और कारणों का पता लगाने के लिए कई कोणों से जानकारियां एकत्र की जा रही हैं और व्यापक अध्ययन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अपर गंगा क्षेत्र में पहले से मंजूर जल विद्युत परियोजनाओं के अलावा अब ऐसी किसी अन्य परियोजना को इस क्षेत्र में स्वीकृति नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि हिमालय पर्वत श्रंखला में जहां पर्वत तोड़ने के लिए डायनामाइट का उपयोग किया जाता है वहां पर्यावरण संरक्षण के लिए बड़ संख्या में पेड़ लगाये जाते हैं। 
जावडेकर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन होने के कई कारण हैं और इस दिशा में सरकार समुचित कदम उठा रही है।उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार के साथ ही निजी क्षेत्र भी पूरा सहयोग कर रहे हैं। कुछ दिनों पूर्व कई बड़ निजी कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ उनकी बातचीत हुई जिसमें उन्हें बताया गया कि कार्पोरेट सेक्टर कार्बन उत्सर्जन कम करने के साथ-साथ नवीकरणीय ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़वा दे रहे हैं। कार्पोरेट घराने बिजली और पानी की बचत पर भी काफी ध्यान दे रहे हैं।
उन्होंने कांग्रेस के जयराम रमेश के प्रश्न के उत्तर में कहा कि 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा के 30 प्रतिशत तक के लक्ष्य से काफी अधिक ऊर्जा का उपयोग होने लगेगा। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के संबंध में पेरिस समझौते के तहत देश में अच्छे कदम उठाये जा रहे हैं और इस मामले में राष्ट्र अग्रणी रहेगा।

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