देश को बदनाम करने वाले संगठनों पर लगे रोक

देश को बदनाम करने वाले संगठनों पर लगे रोक
Published on

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने केंद्र सरकार से यह मांग की है कि सरकार को भारत को बदनाम करने वाली रिपोर्ट्स के प्रकाशन पर रोक लगाने के लिए प्रयास करना चाहिए और ऐसा करने के लिए भारत सरकार को राजनयिक स्तर पर भी इस मुद्दे को उठाना चाहिए। मंच ने भारत सरकार से संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी एजेंसियों के साथ भी इस मुद्दे को उठाने की मांग की।

भुखमरी रैंकिंग प्रकाशित

स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ. अश्वनी महाजन ने जर्मन संस्था वेल्ट हंगरहिल्फ़े द्वारा जारी 'हंगर इंडेक्स' को वैश्विक भूख सूचकांक पर एक और शरारतपूर्ण रिपोर्ट करार देते हुए यह आरोप लगाया कि पिछले वर्षों की तरह एक बार फिर जर्मन संस्था वेल्ट हंगरहिल्फ़े ने अपना 'हंगर इंडेक्स' और उसी के आधार पर दुनिया के देशों की भुखमरी रैंकिंग प्रकाशित की है। इस रैंकिंग में भारत को एक बार फिर बेहद निचले पायदान 111 वीं रैंकिंग पर रखा गया है। इस साल इस रैंकिंग में 125 देशों को शामिल किया गया है। पिछले साल 2022 में भारत 121 देशों की सूची में 107वें स्थान पर था और 2021 में 116 देशों की रैंकिंग में भारत 101वें स्थान पर था।

रिपोर्ट पर सवाल उठना स्वाभाविक

महाजन ने कहा कि इस रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका आदि देशों का प्रदर्शन भारत से कहीं बेहतर है, जो खुद भारत से खाद्य आपूर्ति पर निर्भर हैं। ऐसे में इस रिपोर्ट पर सवाल उठना स्वाभाविक है। यदि हम भोजन के उत्पादन और उपलब्धता पर विचार करें तो 188 देशों की नवीनतम वैश्विक रैंकिंग (2020) में भारत दुनिया में 35वें स्थान पर है। खाद्यान्न, दूध, अंडे, फल, सब्जियां, मछली आदि का प्रति व्यक्ति उत्पादन लगातार बढ़ रहा है जो इस बात की पुष्टि करता है कि भारत आज मांग की तुलना में पर्याप्त या अधिशेष भोजन का उत्पादन कर रहा है।

ग्लोबल हंगर रिपोर्ट के प्रति गहरा रोष

उन्होंने दावा किया कि स्वदेशी जागरण मंच द्वारा अनुमानित भूख सूचकांक 9.528 निकलता है। इस हिसाब से वेल्ट हंगरहिल्फे के फॉर्मूले के मुताबिक भूख सूचकांक में भारत की रैंकिंग 111वीं नहीं बल्कि 48वीं होगी। स्वदेशी जागरण मंच के नेता ने इस ग्लोबल हंगर रिपोर्ट के प्रति गहरा रोष व्यक्त करते हुए कहा कि भारत के देशभक्त लोगों को दुर्भावनापूर्ण इरादों वाली ऐसी रिपोर्टों पर विश्वास नहीं करना चाहिए और साथ ही वे भारत सरकार से इस मुद्दे को राजनयिक स्तर पर उठाने और भविष्य में भारत को बदनाम करने वाली ऐसी रिपोर्टों के प्रकाशन पर अंकुश लगाने का आह्वान करते हैं।

घरेलू उपभोग सर्वेक्षण 2011 के बाद से नहीं किया

उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर, अपने संबंधित डेटा सेट में सुधार में तेजी लाने के लिए इस मुद्दे को खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) और अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के साथ भी उठाया जाना चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि कुपोषण के बारे में वेल्ट हंगरहिल्फे के पास कोई तथ्यात्मक और विश्वसनीय डेटा नहीं है, क्योंकि संबंधित आधिकारिक एजेंसी द्वारा घरेलू उपभोग सर्वेक्षण 2011 के बाद से नहीं किया गया है। लेकिन, दुर्भाग्य से वेल्ट हंगरहिल्फे की रिपोर्ट कुपोषण का आंकड़ा 16.6 प्रतिशत बता रही है।

Related Stories

No stories found.
logo
Punjab Kesari
www.punjabkesari.com