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संसद में ‘असंसदीय शब्दों’ पर विवाद के बीच पर्चों, तख्तियों और प्लेकार्ड्स पर भी लगी पाबंदी

संसद भवन में कुछ शब्दों पर पाबंदी लगने को लेकर जारी विवाद के बीच लोकसभा सचिवालय ने एक और एडवाइजरी जारी की है। जिसके मुताबिक, मानसून सत्र के दौरान सदन में पैंफलेट्स, लीफलेट्स या प्लेकार्ड्स के बांटने पर रोक रहेगी।

संसद भवन में कुछ शब्दों पर पाबंदी लगने को लेकर जारी विवाद के बीच लोकसभा सचिवालय ने एक और एडवाइजरी जारी की है। जिसके मुताबिक, मानसून सत्र के दौरान सदन में पैंफलेट्स, लीफलेट्स या प्लेकार्ड्स के बांटने पर रोक रहेगी। यह एडवाइजरी ऐसे समय जारी हुई है जब संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन और धरना देने पर पाबंदी लगाने को लेकर विपक्ष हमलावर है।    
लोकसभा सचिवालय की एडवाइजरी के मुताबिक, किसी भी तरह का साहित्य, प्रश्नावली, पैम्फलेट, प्रेस नोट, लीफलेट या मुद्रित अन्य कोई सामग्री माननीय अध्यक्ष से इजाजत लिए बिना सदन के परिसर में वितरित नहीं होनी चाहिए। संसद भवन परिसर के अंदर तख्तियां पर भी सख्ती से पाबंदी लगाई जा रही है। 
‘असंसदीय शब्दों’ पर भी बैन से भड़का विपक्ष 
आदेश के मुताबिक, संसद भवन के परिसर में कोई सदस्य धरना, हड़ताल, भूख हड़ताल नहीं कर सकेगा। इसके साथ-साथ कोई धार्मिक कार्यक्रम भी वहां नहीं आयोजित हो सकेगा। ‘असंसदीय शब्दों’ पर भी बैन लगाया गया है। इसमें जुमलाजीवी, तानाशाह, शकुनि, जयचंद, विनाश पुरुष, खून से खेती आदि को असंसदीय शब्द बताकर इनकी लंबी-चौड़ी लिस्ट तैयार की गई।
सरकार पर विपक्ष हमलावर 
इस आदेश पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, “विषगुरू का ताजा प्रहार… धरना मना है।” उन्होंने इसके साथ 14 जुलाई का बुलेटिन भी साझा किया। वहीं माकपा नेता सीताराम येचुरी ने इस मुद्दे पर ट्वीट कर सरकार की आलोचना की और कहा कि यह लोकतंत्र की आवाज दबाने का प्रयास है। उन्होंने ट्वीट किया, “जितनी निकम्मी सरकार, उतनी ही डरपोक। लोकतंत्र का मखौल उड़ाया जा रहा है, इस तरह के तानाशाही आदेश निकाल कर। संसद भवन परिसर में धरना देना सांसदों का एक राजनीतिक अधिकार है, जिसका हनन हो रहा है।”

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