पहली बार बांग्लादेश सरकार अपने 33 नागरिकों को वापस लेने को राजी हुई है जिन्हें असम में विदेशी न्यायाधिरकण ने घुसपैठिया करार दिया था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने आज यह जानकारी दी।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (विशेष शाखा) पल्लब भट्टाचार्य ने कहा कि यहां बांग्लादेश के सहायक उच्चायुक्त हाल ही में हिरासत केंद्र गये थे और उन्होंने वहां विदेशी करार दिये गये 33 लोगों को अपने देश का नागरिक पाया।
भट्टाचार्य के अनुसार विभिन्न विदेशी न्यायाधिकरणों द्वारा बांग्लादेश के अवैध प्रवासी करार दिये जाने के बाद इन 33 लोगों को हिरासत रखा गया था।
उन्होंने अपने नागरिकों को बांग्लादेश द्वारा वापस लेने के फैसले की प्रशंसा की और कहा कि यह सद्भावना है क्योंकि दोनों पड़ोसी देशों के बीच कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है।
जब भट्टाचार्य से पूछा गया कि इन 33 विदेशियों को कब स्वदेश भेजा जाएगा तब उन्होंने कहा कि इसमें कुछ वक्त लगेगा क्योंकि उनकी वापसी के तौर तरीके विदेश मंत्रालय बांग्लादेश के अपने समकक्ष के साथ मिलकर तय करेगा।
उन्होंने कहा कि हिरासत केंद्र में रखे गये इन लोगों के पते बांग्लादेश सरकार को भेजे गये थे और सत्यापन के बाद यह स्पष्ट हुआ कि वे बांग्लादेशी नागरिक हैं।
उन्होंने कहा कि वैसे न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित करने का जरुरी नहीं यह तात्पर्य हो कि वह व्यक्ति बांग्लादेश का है क्योंकि पता उस देश द्वारा सत्यापित करना होता है।
भट्टाचार्य ने बताया कि 2013 में केंद्र ने असम सरकार को अवैध विदेशी को धकेलने नहीं बल्कि बांग्लादेश को प्रत्यर्पित करने का निर्देश दिया था।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बांग्लादेश ने पिछले ही महीने हिरासत कैंप में अपने 152 नागरिकों की पहचान की थी और विदेश मंत्रालय को उन्हें जत्थे में वापस करने का प्रस्ताव दिया था। विदेशियों के मुद्दे पर असम सरकार के श्वेतपत्र में कहा गया है , ‘‘ भारत सरकार ने राज्य सरकार को विदेशी अधिनियम ,1946 की धारा 3(2) (e) , विदेशी आदेश , 1948 के अनुच्छेद 11(2) के प्रावधानों के तहत हिरासत केंद्र बनाने के लिए अधिकृत किया था। ’’
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