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बैंक कर्ज धोखाधड़ी: ईडी ने सिंभावली शुगर की 110 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बैंक कर्ज में धोखाधड़ी और उससे जुड़े धनशोधन के मामले में सिंभावली शुगर्स लिमिटेड की 110 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बैंक कर्ज में धोखाधड़ी और उससे जुड़े धनशोधन के मामले में सिंभावली शुगर्स लिमिटेड की 110 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। एजेंसी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। सिंभावली देश की सबसे बड़ी चीनी मिलों में से एक है। ईडी ने बताया कि धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत उत्तर प्रदेश के हापुड़ में सिंभावली शुगर्स की आसवनी इकाई की मशीन, जमीन और इमारत जैसी सम्पत्तियों को कुर्क करने का अंतरिम आदेश जारी किया गया है। इस आदेश के तहत कुल 109.8 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की गई है। 
धोखाधड़ी के इस मामले की जांच सीबीआई भी कर रही है। सीबीआई ने गन्ना किसानों को वित्तीय मदद देने के बहाने ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के साथ धोखाधड़ी करने के आरोप में सिंभावली शुगर्स लिमिटेड और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। ईडी ने सीबीआई की प्राथमिकी पर संज्ञान लेते हुए पीएमएलए के तहत कंपनी के खिलाफ मार्च 2018 में मामला दर्ज किया था। आपराधिक मामला दर्ज होने के बाद भी प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल छापेमारी की थी। सीबीआई की प्राथमिकी के मुताबिक , बैंक ने कंपनी को 5,762 किसानों की सहायता के लिए 148.59 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था लेकिन कंपनी ने इस पैसा का इस्तेमाल दूसरे कामों में किया। 
केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने कंपनी के चेयरमैन गुरमीत सिंह मान , उप प्रबंध निदेशक गुरपाल सिंह , मुख्य कार्यकारी अधिकारी जी एस सी राव , सीएफओ संजय तापड़िया , कार्यकारी निदेशक गुरसिमरन कौर मान और पांच गैर – कार्यकारी निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। गुरपाल सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के दामाद हैं। ईडी ने कहा कि जांच में पाया गया है कि कंपनी ने ऋण के पैसों को घुमा फिराकर दूसरे खातों में डाला और अंत में इसका उपयोग बाहरी वाणिज्यिक उधारी , परिचालन व्यय और गन्ने की बकाया राशि समेत बकाया कर्ज के भुगतान में किया गया। 
कंपनी को इस तरह के भुगतान अपनी आय से करने चाहिए थे। प्रवर्तन निदेशालय ने कहा , ग्राहक को जानो (केवाईसी) दस्तावेजों में गंभीर अनियमितताएं थी। कंपनी पर 98.7 करोड़ रुपये के बकाया मूल धन के साथ इस कर्ज खाते को एनपीए (अवरुद्ध) घोषित कर दिया गया । इसकी वसूली के लिए बैंक ने मामले को ऋण वसूली न्यायाधिकरण के समक्ष रखा था। 

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