सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के करीब नौ लाख कर्मचारियों ने सरकारी बैंकों के निजीकरण के विरोध में बृहस्पतिवार को दो दिन की हड़ताल शुरू की। हड़ताल के पहले दिन देश भर में इन बैंकों का कामकाज प्रभावित रहा।
हड़ताल से बैंक सेवाएं प्रभावित
इन बैंकों के ग्राहकों को बैंको का कामकाज बंद होने की वजह से जमा और निकासी, चेक समाशोधन और ऋण मंजूरी जैसी सेवाएं के ठप होने से दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
बैंकों का कामकाज शुक्रवार को भी प्रभावित हो सकता है।
यह हड़ताल अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी), अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) और राष्ट्रीय बैंक कर्मचारी संगठन (एनओबीडब्ल्यू) सहित नौ बैंक संघों के मंच यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) ने बुलायी है। कर्मचारी चालू वित्त वर्ष में दो और सरकारी बैंकों की निजीकरण करने के सरकार के फैसले के खिलाफ हड़ताल कर रहे हैं।
2021-22 के बजट में दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की थी घोषणा
सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी।
ग्राहकों को हड़ताल की जानकारी देने के साथ भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ इंडिया जैसे सरकारी बैंकों की कई शाखाएं बृहस्पतिवार को बंद रहीं।
कर्मचारी संघों ने बताया कि सरकारी बैंकों के अलावा पुरानी पीढ़ी के निजी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के कुछ कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हुए।
उन्होंने कहा कि सफाई कर्मचारी से लेकर वरिष्ठ अधिकारी तक सभी वर्ग के अधिकारी दो दिन की इस हड़ताल में हिस्सा ले रहे हैं।
एआईबीईए के महासचिव सी एच वेंकटचलम के मुताबिक बृहस्पतिवार को 18,600 करोड़ रुपये के 20.4 लाख चेक से जुड़ा लेनदेन नहीं हो सका।
भारतीय स्टेट बैंक सहित सरकारी बैंकों ने ग्राहकों को पहले ही सूचित कर दिया था कि हड़ताल के कारण उनकी शाखाओं में सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
वेंकटचलम ने कहा, ‘सरकारी बैंक सामान्य रूप से हमारे देश के आर्थिक विकास में और विशेष रूप से समाज के वंचित वर्गों तथा देश के पिछड़े क्षेत्रों के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करते हैं।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की एक लाख से अधिक शाखाओं का कामकाज प्रभावित
उन्होंने कहा, ‘सरकारी बैंकों ने कृषि, लघु व्यापार, लघु व्यवसाय, लघु उद्योग, छोटे पैमाने के उद्योगों (एसएसआई), परिवहन और समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान में एक अहम भूमिका निभायी है।’
एआईबीओसी के महासचिव सौम्य दत्ता ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार के रवैये के कारण हो रहे हड़ताल से बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की एक लाख से अधिक शाखाओं का कामकाज प्रभावित हुआ है।
वेंकटचलम ने कहा कि कांग्रेस, द्रमुक, भाकपा, माकपा, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना समेत कई राजनीतिक दलों ने हड़ताल का समर्थन किया है।
करीब 60,000 कर्मचारियों ने हड़ताल में लिया हिस्सा
महाराष्ट्र में यूएफबीयू के राज्य समन्वयक देवीदास तुलजापुरकर ने कहा कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और भारतीय रिजर्व बैंक के कर्मचारी संघों ने भी हड़ताल का समर्थन किया है।
महाराष्ट्र में सरकारी बैंकों के करीब 60,000 कर्मचारियों ने हड़ताल में हिस्सा लिया।
उन्होंने कहा कि मुंबई के आजाद मैदान में 5,000 बैंक कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया।
पश्चिम बंगाल में यूएफबीयू के समन्वयक गौतम नियोगी ने दावा किया कि राज्य में पूर्ण हड़ताल रही।
एआईबीओसी के महासचिव संजय दास ने कहा कि अगर सरकार सरकारी बैंकों के निजीकरण का विचार नहीं छोड़ती है तो दो दिन की हड़ताल के अलावा कई और विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से अर्थव्यवस्था के निजी क्षेत्रों को नुकसान होगा और साथ ही स्वयं-सहायता समूहों को ऋण के प्रवाह तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा।
देश की करीब 70 प्रतिशत जमा राशि सरकारी बैंकों के पास
दास ने कहा कि देश की करीब 70 प्रतिशत जमा राशि सरकारी बैंकों के पास है और उन्हें निजी पूंजी के हवाले करने से आम आदमी का पैसा जोखिम में पड़ जाएगा।
चेन्नई में बैंक कर्मचारियों के एक वर्ग ने काला बैज पहनकर विरोध प्रदर्शन किया और केंद्र के कदम के फैसले के खिलाफ नारे लगाए।
वहीं राजस्थान की राजधानी जयपुर में बैंक कर्मचारियों ने अंबेडकर सर्किल के पास एसबीआई कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।
सीतारमण ने केंद्र की विनिवेश योजना के तहत दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की थी घोषणा
गौरतलब है कि फरवरी में पेश केंद्रीय बजट में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्र की विनिवेश योजना के तहत दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी।
निजीकरण की सुविधा के लिए, सरकार ने बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 को संसद के मौजूदा सत्र के दौरान पेश करने और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया है।
सरकार ने इससे पहले 2019 में आईडीबीआई में अपनी अधिकांश हिस्सेदारी एलआईसी को बेचकर बैंक का निजीकरण किया था और साथ ही पिछले चार वर्षों में 14 सरकारी बैंकों का विलय किया है।