सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा है कि बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक का सीमा पार इतना कड़ा संदेश गया है कि भले ही वहां आतंकवादी शिविर फिर से सक्रिय हो रहे हैं लेकिन किसी भी नापाक हरकत को अंजाम देने से पहले आतंकवादी और उनके आका सौ बार सोचेंगे।
नवनियुक्त सेना प्रमुख ने आज जोर देकर कहा कि जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद शांति स्थापित हुई है और पत्थर फेंकने तथा अन्य आतंकवादी गतिविधियों में कमी आयी है। साथ ही उन्होंने कहा कि आने वाले समय में स्थिति और सुधरेगी।
पाकिस्तान और चीन की सीमाओं पर सेना के विशेष फोकस पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि सीमाओं पर शांति बनाये रखने का मूलमंत्र यही है कि हम अपनी ताकत बढायें और हर स्थिति से निपटने की क्षमता पैदा करें। परमाणु हथियारों को प्रतिरोधक क्षमता तक सीमित बताते हुए उन्होंने कहा कि अब तक इनकी भूमिका यही रही है।
उन्होंने कहा कि बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक में सीमा पार आतंकवादी ढांचों को जबरदस्त नुकसान पहुंचा था लेकिन पिछले कुछ महीनों में आतंकवादी शिविर फिर से सक्रिय हो गये हैं और 20 से 25 आतंकवादी शिविरों तथा लांच पैड पर बैठे 200 से 250 आतंकवादी घुसपैठ की फिराक में हैं। इनमें पाकिस्तान के अलावा कुछ विदेशी आतंकवादी भी हैं।
आतंकवादी शिविरों के दोबारा सक्रिय होने पर उन्होंने कहा कि युद्ध में नष्ट किये जाने वाले ढांचे पुल आदि भी दोबारा बन जाते हैं लेकिन सर्जिकल स्ट्राइक का इतना कड़ संदेश गया है कि आतंकवादी और उनके आका फिर से किसी नापाक हरकत को अंजाम देने से पहले ठंडे दिमाग से सोचेंगे। उन्होंने कहा कि सेना उनके मंसूबों को निरंतर विफल कर रही है और चौकसी के साथ पूरी तरह तैयार है।
जनरल नरवणे ने कहा कि बालाकोट स्ट्राइक से यह संदेश गया है कि इन आतंकवादी शिविरों को अंदर तक मार कर नेस्तानाबूद किया जा सकता है। आतंकवादी शिविरों की जगह और आकार निरंतर बदलता रहता है। कभी ये किसी इमारत से चलाये जाते हैं तो कभी झोपड़ से भी चलाये जा सकते हैं या गांव के किनारे के घर में भी हो सकते हैं। इन शिविरों में 4 से 6 या 10 से 12 आतंकवादी हो सकते हैं। सेना इनकी गतिविधियों पर निरंतर कड़ नजर रखती है। सभी गतिविधियों और जानकारियों के विश्लेषण के आधार पर इनसे निपटने के लिए सोची समझी रणनीति के आधार पर कार्रवाई की जाती है।
उन्होंने कहा कि अभी पीर पंजाल क्षेत्र में भारी बर्फबारी के चलते घुसपैठ के सभी रास्ते बंद हो गये हैं इसलिए आतंकवादियों का ध्यान नीचे के क्षेत्रों की ओर है तथा वे जम्मू आदि क्षेत्रों की ओर से घुसपैठ के रास्ते तलाश रहे हैं लेकिन उनकी गतिविधियों पर सेना की पैनी नजर है।
परमाणु हथियारों के बारे में पूछे गये सवाल पर सेना प्रमुख ने कहा कि ये देश की प्रतिरोधक क्षमता को बताते हैं और अब तक इनकी भूमिका यहीं तक सीमित रही है। उन्होंने कहा भारतीय सेनाओं ने अब तक परमाणु हथियारों के बिना ही दो-तीन बड़ अभियानों को अंजाम दिया है।
सेना प्रमुख ने कहा कि चीन और पाकिस्तान दो बड़ पड़सी हैं जिनके साथ हमारी लंबी सीमा है और कई जगहों पर यह बेहद दुर्गम है और वहां परिस्थितियां प्रतिकूल हैं। उन्होंने कहा कि सीमाओं पर शांति का मूलमंत्र यही है कि सेना ताकतवर बने और हर स्थिति का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम तथा तैयार रहे। सेना प्रमुख ने कहा कि इन सीमाओं के लिए सेना की दीर्घकालिक योजना रही है और यह फोकस वर्षों से चला आ रहा है।
सीमा विवादों पर उन्होंने कहा कि हमें आक्रामक रहने के बजाय अपने इरादों को फौलादी रखना होगा और अपने हक पर चट्टान की तरह अड़गि रहना होगा। चीन से लगती सीमा के संदर्भ में उन्होंने कहा कि इस पर निरंतर विचार विमर्श और बातचीत चलती रहती है लेकिन हमें उस क्षेत्र में ढांचागत सुविधाओं पर जोर देते हुए निगरानी बढानी होगी और तैनाती पर भी ध्यान होगा।
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि आप सीमा के हर इंच पर तैनाती नहीं कर सकते लेकिन अपनी क्षमता बढाकर महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रभुत्व बनाना चाहिए।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर जनरल नरवणे ने कहा कि इस निर्णय के बाद वहां शांति जरूर स्थापित हुई है। पांच अगस्त के बाद से पत्थर फैंकने और अन्य आतंकवादी घटनाओं में कमी आयी है। उन्होंने कहा कि इस अनुच्छेद को हटाये जाने के बाद वहां की स्थिति तथा घटनाओं से संबंधित तथ्य और आंकड़ इस बात का प्रमाण है कि कानून व्यवस्था की स्थिति अच्छी हुई है और इसमें भविष्य में और भी सुधार आयेगा।
सेनाओं के लिए बजट में कम आवंटन से संबंधित सवाल पर उन्होंने कहा कि सेनाओं की जरूरतें पूरी हो रही हैं और आधुनिकीकरण को ध्यान में रखते हुए पिछले वर्षों में कई अत्याधुनिक प्लेटफार्म तथा हथियार खरीदे गये हैं। सेना मौजूदा संसाधनों में जरूरतों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा कर रही है और उनके अधिकतम इस्तेमाल पर जोर दे रही है। तीनों सेनाओं के एकीकरण और उनमें समन्वय बढाने के लिए उन्होंने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति को बेहद महत्वपूर्ण तथा सही कदम बताया।
उन्होंने कहा कि सेनाओं को अपने साजो सामान का पूल करते हुए इनके साझा इस्तेमाल की दिशा में काम करने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था 50 खरब डालर होने जा रही है और यदि सेनाओं को उसका दो प्रतिशत मिलता है तो यह काफी राशि है। उन्होंने कहा कि हर मंत्रालय की अपनी अपेक्षा होती है लेकिन सबकी अपेक्षा पूरी नहीं हो सकती।
सेना के पुनर्गठन को लेकर की जा रही कवायद को समय की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि इसे किसी और संदर्भ में देखने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि यह कवायद जल्द ही पूरी होने की संभावना है इससे सेना चुस्त-दुरूस्त तथा मुस्तैद बनेगी। इंटिग्रेटिड बैटल ग्रुप (आईबीजी) के बारे में उन्होंने कहा कि यह अच्छी अवधारणा है और इससे सेना की क्षमता तथा दक्षता बढेगी। यह युद्ध से संबंधित भविष्य की तैयारियों को देखते हुए जरूरी है।
सत्रहवीं कोर की आईबीजी एक्सरसाइज के बारे में उन्होंने कहा कि इसकी आरंभिक रिपोर्ट के अच्छे तथा उत्साहजनक परिणाम मिले हैं लेकिन हमें अपनी संचार प्रणाली को और पुख्ता बनाने की जरूरत है। यह पूरी तरह फुलप्रूफ होनी चाहिए।