लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम आने से पहले ही बीजेपी को करारा झटका लगा है। दरअसल , मणिपुर में बीजेपी के साथ सरकार में शामिल नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने अपना समर्थन वापस ले लिया है।
पार्टी के प्रवक्ता अचुमबेमो किकोन ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि कोहिमा में स्थित एनपीएफ के मुख्यालय में हुई लंबी बैठक के बाद पार्टी ने ये फैसला लिया है।
वही , इस बारे में एनपीएफ चीफ टी आर जेलियांग ने ट्वीट करके कहा कि पार्टी अधिकारियों और मणिपुर में एनपीएफ के विधायकों की मीटिंग के बाद हमने फैसला लिया है कि हम सैद्धातिंक रूप से मणिपुर की बीजेपी सरकार से लोकसभा चुनाव के बाद समर्थन वापस लेंगे। यह फैसला बीजेपी के उदासीन रवैये के चलते लिया गया है।
आपको बता दें कि 60 सीटों वाले मणिपुर में एनपीएफ के चार विधायक हैं और बीजेपी के एन बीरेन सिंह राज्य के मुख्यमंत्री हैं। गौरतलब है कि 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी लेकिन अन्य पार्टियों के समर्थन से बीजेपी ने सरकार बना ली थी।
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वही, एनपीएफ ने शनिवार को इस संबंध में अपने नेताओं और विधायकों की एक बैठक भी बुलाई थी। यह बैठक इसी संबंध में बुलाई गई थी कि उन्हें अपना समर्थन वापस लेना है या नहीं। वहीं , बीजेपी ने एनपीएफ के सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि सरकार के कामकाज सुचारू रखने के लिए अपने सहयोगियों को हरसंभव मदद की जा रही है।
वही,एनपीएफ के प्रदेश इकाई प्रमुख अवांगबू नेवमई ने कहा था कि बीजेपी अपने गठबंधन सहयोगियों को तुच्छ समझती है और साल 2016 में सरकार गठन के बाद से ही बीजेपी ने कभी भी गठबंधन की मूल भावना का सम्मान नहीं किया है। उन्होंने बताया कि हमारे 4 विधायकों में से सिफ लोशी दिखो ही मंत्री हैं। बीजेपी ने अब तक जो हमसे वादे किए थे वह कभी पूरे नहीं किए।
वही नेवमई ने यह भी कहा कि भगवा पार्टी ने अपने गठबंधन सहयोगियों को जो वादे किये थे उसे कभी पूरा नहीं किया। उन्होंने दावा किया कि एनपीएफ ने हमेशा बीजेपी को अपने बड़े भाई की तरह समझा है लेकिन यह भगवा पार्टी को हमें झांसा देने से नहीं रोक पाया। हमें उचित सम्मान नहीं मिला।
नेवमई के दावों को गलत बताते हुए मणिपुर में भाजपा प्रवक्ता सीएच बिजॉय ने कहा कि एनपीएफ ने गठबंधन में शामिल होने के दौरान कहा था कि उसे मंत्री पद नहीं चाहिए लेकिन अब ऐसा लगता है कि पार्टी की कई मांगें हैं। उन्होंने कहा कि एनपीएफ की मांगें पूरी तरह निराधार और बेबुनियाद हैं। सरकार के सुचारू कामकाज के लिये हमारे गठबंधन सहयोगियों को हरसंभव सुविधाएं दी गयी हैं।