भारत का पहला प्राइवेट रॉकेट विक्रम एस को आज लॉन्च कर दिया गया है. इस रॉकेट को हैदराबाद की एक प्राइवेट स्टार्टअप कंपनी स्काईरूट ने बनाया है, जिसे श्रीहरिकोटा में इसरो के लॉन्चिंग केंद्र सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया। इसके साथ ही भारत के अंतरिक्ष तकनीक के मामले में निजी रॉकेट कंपनियों के प्रवेश की शुरुआत हो गई है, भारत अब उन चंद देशों में शामिल हो गया है जहां निजी कंपनियां भी अपने बड़े रॉकेट लॉन्च करती हैं।
लॉन्चिंग के बाद विक्रम एस रॉकेट हाइपरसोनिक स्पीड यानी आवाज की गति से पांच गुना ज्यादा स्पीड से अंतरिक्ष की ओर गया। बता दें कि इस रॉकेट का निर्माण करने वाली स्काईरूट कंपनी चार साल पुरानी है। विक्रम एस रॉकेट को लॉन्च करने में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने मदद की। इस मिशन को Mission Prarambh का नाम दिया गया है।
विक्रम रॉकेट के तीन संस्करण
स्काईरूट विक्रम रॉकेट के तीन संस्करण विकसित कर रहा है, जिसका नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। विक्रम-I पृथ्वी की निचली कक्षा में 480 किलोग्राम पेलोड ले जा सकता है, वहीं विक्रम-II 595 किलोग्राम कार्गो को उठाने में सक्षम है। इस बीच, विक्रम-III 815 किलोग्राम से 500 किलोमीटर कम झुकाव वाली कक्षा के साथ लॉन्च कर सकता है।
भारत के लिए यह लॉन्च क्यों बड़ी है?
विक्रम एस की लॉन्चिंग भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जो अब तक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के एकमात्र डोमेन के अंतर्गत रहा है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी रॉकेट और मिशन को अंतरिक्ष में विकसित करने, डिजाइन करने और लॉन्च करने के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है।
स्काईरूट एयरोस्पेस क्या है?
मिंत्रा के संस्थापक मुकेश बंसल से सीड फंडिंग के साथ 2018 में IIT खड़गपुर और IIT मद्रास के पूर्व छात्र पवन चंदना और भरत डाका के नेतृत्व में कंपनी (स्काईरूट एयरोस्पेस) की शुरुआत हुई थी। इसने सीरीज ए फंडिंग में 11 मिलियन डॉलर जुटाए और 2021 में रॉकेट के विकास के लिए अपनी सुविधाओं और विशेषज्ञता का उपयोग करने के लिए इसरो के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
Vikram-S रॉकेट में थ्रीडी-प्रिंटेड क्रायोजेनिक इंजन लगे हैं, जिसका परीक्षण नागपुर स्थित सोलर इंडस्ट्री लिमिटेड की टेस्ट फैसिलिटी में पिछले साल 25 नवंबर को किया गया था। इस रॉकेट के जरिए सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष की निर्धारित कक्षा में स्थापित किया जाएगा। बता दें कि इस रॉकेट का वजन 545 किलोग्राम है।