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भागलपुर हिंसा : वॉरंट जारी होने के बाद अर्जित शाश्वत ने कहा – जब गायब ही नहीं हुआ तो सरेंडर क्यों करूं

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बिहार के भागलपुर में हिंसा के मामले में नामजद आरोपी केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत ने सोमवार को मीडिया से बात करते हुए पुलिस के सामने सरेंडर करने से इनकार किया है। रविवार को वो पटना में रामनवमी की शोभायात्रा में नजर आया। इस दौरान सत्ताधारी दल के दीघा के विधायक संजीव चौरिसया समेत अन्य कार्यकर्ताओं भी उसके साथ थे। हिंसक झड़प के उक्त मामले में अरिजीत शाश्वत के खिलाफ वॉरंट जारी किया गया था जिसके बाद विपक्षी नेता उन पर सरेंडर करने का दबाव बना रहे थे।

मीडिया से बातचीत के दौरान अरिजीत ने कहा कि वह फिलहाल सरेंडर नहीं करने जा रहे हैं। अपने बयान में अरिजीत ने कहा, ‘मैं न्यायालय की शरण में हूं। उन्होंने कहा कि जिन्हें खोजने की जरूरत पड़े फरार उन्हें कहा जाता है, मैं समाज के बीच हूं। मैं आत्मसमर्पण क्यों करूंगा? कोर्ट वॉरंट जारी करता है पर वह आश्रय भी देता है। जब एक बार आप कोर्ट जाते हैं तो आप वहीं करते हैं जो कोर्ट आपके लिए फैसला करता है।’

FIR कुछ नहीं बल्कि कागज का कूड़ा

वही अपने बेटे का बचाव करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने अपने बेटे के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट को कागज का कूड़ा बताया। अपने बयान में उन्होंने कहा, ‘एफआईआर कुछ नहीं बल्कि कागज का कूड़ा है जिसे इलाके के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने दर्ज किया था। मेरे बेटे ने कोई गलती नहीं की।’ उधर, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने ट्विटर पर बिहार सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था पर सवाल किए।

तेजस्वी ने ट्वीट किया, ‘यह लड़का (अरिजीत शाश्वत) लगातार नीतीश कुमार को चुनौती दे रहा है। वह नीतीश कुमार का मजाक बना रहा है। मिस्टर सीएम की धरती पर कानून व्यवस्था कहां है? इतने कायर मत होइए। वह दंगा भड़काने के मामले में वांटेड है। यह नीतीश सरकार के लिए शर्मनाक है।’ 24 मार्च को भागलपुर की अदालत से अर्जित समेत 9 के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था। एडीजी मुख्यालय संजीव कुमार सिंघल ने बताया कि नाथनगर मामले में दो केस दर्ज हुए हैं।

एक केस में वारंट जारी हो चुका है। अब दूसरे केस में भी अदालत से आरोपियों की गिरफ्तारी वारंट लेने में पुलिस जुटी है। सोमवार को वारंट मिल जाएगा। इसके बाद कानूनी कार्रवाई होगी। रविवार रात अर्जित ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर नाथनगर में 17 मार्च को हुई हिंसा के लिए पुलिस अफसरों को दोषी ठहराया और नाथनगर थाना प्रभारी को निलंबित करने की मांग की। उसने आरजेडी और कांग्रेस के नेताओं के साथ नगर विधायक अजीत शर्मा पर लोगों को भड़काने का आरोप लगाया और प्रशासन से कार्रवाई की मांग की।

अर्जित ने कहा कि घटना में अफसर भी दोषी हैं। उनपर भी कार्रवाई हो। प्रशासन की ढिलाई के चलते उपद्रवियों का मनोबल बढ़ रहा है। दरअसल भागलपुर के नाथनगर के चम्पानगर में 17 मार्च को शोभायात्रा के दौरान हिंसा हुई थी। यात्रा के दौरान नारेबाजी के चलते दो पक्षों में हिंसक झड़प हुई थी। देखते ही देखते दोनों तरफ से पहले जमकर पथराव हुआ, फिर बम और गोलियां चली। एक गोली पुलिस जवान को भी लगी।

पथराव और बमबाजी में एक दर्जन से ज्यादा लोग और पुलिसकर्मी जख्मी हुए थे। डीएम-एसएसपी समेत पुलिस बलों की मौजूदगी में करीब दो घंटे तक उपद्रव होता रहा। उपद्रवियों ने कई लोगों को पीटा, बाइक जला दी और दुकानों में तोड़फोड़ की। कई घरों में भी घुसकर मारपीट की। इस दौरान पुलिस मूकदर्शक बनी रही और उपद्रवी गोलीबारी और पथराव करते रहे। पथराव में छह पुलिसवाले और छह स्थानीय लोग जख्मी हुए थे।

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