भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने चालू वित्त वर्ष में ब्याज दरों को स्थिर रखने का क्रम जून बैठक में भी बरकरार रखा। तीन दिनों तक चली बैठक में समिति ने रेपो रेट को फिर से नहीं बढ़ाने का फैसला किया। इस तरह रेपो रेट अभी भी 6.50 फीसदी ही है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज गुरुवार को एमपीसी की बैठक के बाद प्रमुख फैसलों की जानकारी दी।
मौद्रिक नीति समिति के सदस्यों ने रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया गया
आरबीआई गवर्नर ने बताया कि मौद्रिक नीति समिति के सदस्यों ने रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया है। इससे पहले अप्रैल महीने में रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की पहली बैठक हुई थी और उस बैठक में भी नीतिगत दरों को स्थिर बनाए रखने का फैसला लिया गया था। उससे पहले आरबीआई ने महंगाई को काबू करने के लिए लगातार रेपो रेट को बढ़ाया था.
रेपो रेट बढ़कर 6.50 फीसदी पर पहुंचा ब्याज दरों को बढ़ाने की शुरुआत पिछले साल मई महीने में हुई थी। तब रिजर्व बैंक एमपीसी ने आपात बैठक कर रेपो रेट को बढ़ाने का फैसला लिया था। मई 2022 में आरबीआई ने लंबे अंतराल के बाद रेपो रेट में बदलाव किया था। महंगाई को काबू करने के लिए रिजर्व बैंक ने मई 2022 से लेकर फरवरी 2023 तक 6 बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की और इस तरह यह बढ़कर 6.50 फीसदी पर पहुंच गया।
लेना पड़ा था रिजर्व बैंक को भी रेपो रेट बढ़ाने का फैसला
मौद्रिक नीति समिति खुदरा महंगाई और आर्थिक वृद्धि को ध्यान में रखकर ब्याज दर पर फैसला लेती है। मई 2022 से पहले कोरोना महामारी के चलते पैदा हुई विषम परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पहले रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को निचले स्तर पर लाया था, ताकि देश की आर्थिक वृद्धि को सहारा मिल सके। हालांकि बाद में खुदरा महंगाई के बेकाबू हो जाने और अमेरिका में फेडरल रिजर्व के द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने के बाद रिजर्व बैंक को भी रेपो रेट बढ़ाने का फैसला लेना पड़ा था।