केंद्र सरकार ने 1991 में हुई पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की हत्या में एक अंतरराष्ट्रीय साजिश की जांच के लिए केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के भीतर गठित बहु-अनुशासनात्मक निगरानी एजेंसी (MDMA) को भंग कर दिया है. सूत्रों ने यह जानकारी दी है. MDMA को 1998 में न्यायमूर्ति एमसी जैन जांच आयोग की सिफारिशों पर स्थापित किया गया था.
पिछले 24 साल से MDMA केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के तहत काम कर रही थी और इसमें विभिन्न केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी शामिल थे. इसने राजीव गांधी की हत्या की साजिश के पहलुओं की जांच की थी. सूत्रों ने बताया कि एजेंसी को भंग करने का आदेश मई में जारी किया गया था और लंबित जांच को केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की एक अलग इकाई को सौंप दिया गया है. वहीं इसका नेतृत्व CBI के उप महानिरीक्षक (DIG) रैंक के अधिकारी कर रहे थे. जानकारी के अनुसार एक समय में इसका नेतृत्व संयुक्त निदेशक रैंक का अधिकारी करता था और इसमें कम से कम 30-40 अधिकारी कार्य करते थे.
जानकारी के अनुसार, MDMA के अधिकारियों ने श्रीलंका, मलेशिया, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड आदि देशों को कई अनुरोध पत्र भी भेजे और कई विदेश यात्राएं भीं की. इसमें लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (लिट्टे) के प्रमुख संगठनों के बैंक लेनदेन और उस समय के आसपास हथियारों की आवाजाही की जांच की गई, लेकिन कोई खास प्रगति नहीं हुई. गौरतलब है कि राजीव गांधी की 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदुर में एक चुनावी रैली के दौरान धनु नाम की लिट्टे की महिला आत्मघाती हमलावर ने हत्या कर दी थी.