Indian Navy: भारतीय नौसेना को जल्द ही पेट्रोलिंग के लिए अत्यधिक सक्षम जहाज मिलने जा रहे हैं। यह जहाज समुद्री डकैती जैसी बड़ी घटनाओं से निपटने में सक्षम होंगे। खुले समुद्र में गश्त करने वाले आधुनिक पीढ़ी के पहले और दूसरे समुद्री जहाज (एनजीओपीवी) (पूर्व-जीआरएसई) यार्ड 3037 तथा 3038 का निर्माण शुरू कर दिया गया है। भारतीय नौसेना के लिए बनाए जा रहे इन समुद्री जहाज का निर्माण कार्य मंगलवार को कोलकाता के मेसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड में शुरू किया गया।
समुद्री डकैती को रोकने के लिए बड़ा कदम
इन समुद्री जहाजों की एक बड़ी भूमिका तटीय रक्षा एवं निगरानी, खोज व बचाव कार्यों को अंजाम देना है। इसके साथ ही खुले समुद्र में परिसंपत्तियों की सुरक्षा और समुद्री डकैती रोकने संबंधी मिशनों के लिए लगभग 3,000 टन भार वाले एनजीओपीवी की परिकल्पना की गई है। इस समारोह की अध्यक्षता पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सीवी. आनंद बोस ने की। भारतीय नौसेना ने बताया कि इस कार्यक्रम में नौसेना और मेसर्स जीआरएसई के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। 11 एनजीओपीवी जहाजों का स्वदेशी डिजाइन और निर्माण किया जाना है।
स्वदेशी जहाज का निर्माण शुरू
इसी उद्देश्य से रक्षा मंत्रालय तथा मेसर्स जीएसएल, गोवा के बीच सात जहाजों के लिए अनुबंध किया गया है। इसके अलावा रक्षा मंत्रालय ने मेसर्स जीआरएसई, कोलकाता के साथ 4 पोतों के अनुबंध किए थे। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इन जहाजों निर्माण कार्य का शुभारंभ देश के ‘आत्मनिर्भर भारत’ तथा ‘मेक इन इंडिया’ के दृष्टिकोण के अनुरूप स्वदेशी जहाज निर्माण की दिशा में भारतीय नौसेना की भव्यता में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। तटीय सुरक्षा को देखते हुए हाल ही में 'अदम्य' और 'अक्षर' को भारतीय तट रक्षक बल में शामिल किया गया है।
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