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DRDO और वायुसेना को बड़ी सफलता, अचूक निशाने से तबाह होंगे दुश्मन के ठिकाने

भारत ने शुक्रवार को देश में विकसित लॉन्ग रेंज बम का सफल परीक्षण किया। भारतीय वायुसेना के साथ साझेदारी में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने ओडिशा तट से दूर एक मंच से स्वदेशी रूप से विकसित लॉन्ग रेंज बम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है

भारत ने शुक्रवार को देश में विकसित लॉन्ग रेंज बम का सफल परीक्षण किया। भारतीय वायुसेना  के साथ साझेदारी में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन  ने ओडिशा तट से दूर एक मंच से स्वदेशी रूप से विकसित लॉन्ग रेंज बम  का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। स्वदेशी रूप से बनाए गए निर्देशित बम ने सीमा को कवर किया और लक्ष्य को सटीकता के साथ हिट किया। 
रक्षा मंत्रालय का बयान1635522357 dkk
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ”वायुसेना के फाइटर एयरक्राफ्ट से रिलीज होने के बाद लंबी रेंज के बम ने टारगेट पर सटीक लैंड किया.” बम को ट्रैक करने के  लिए ईओटीएस (इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम), टेलीमेट्री और रडार सहित विभिन्न रेंज सेंसर का इस्तेमाल किया गया था। रेंज सेंसर इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज में लगाए गए थे। 
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने कहा कि मिशन के सभी उद्देश्यों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। उन्होंने कहा, “एलआरबी के सफल  परीक्षण ने सिस्टम के इस वर्ग के स्वदेशी विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है।’
पोखरण में स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन का सफल परीक्षण
उधर, राजस्थान की पोखरण रेंज में 28 अक्तूबर को स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन का सफल परीक्षण किया गया। सरकारी अधिकारियों ने बताया कि आने वाले समय में सटीक निर्देशित हथियारों के और परीक्षण किए जाने की उम्मीद है।
क्या हैं लॉन्ग रेंज गाइडेड बम, साधारण बम से अलग कैसे? 
जहां साधारण बम को गिराने के बाद उन्हें नियंत्रित नहीं किया जा सकता, वहीं लॉन्ग रेंज गाइडेड बम, जिन्हें स्मार्ट बम भी कहा जाता है उन्हें गिराने के बाद उनकी दिशा और गति को बदला जा सकता है। इससे यह बम अचूक हो जाते हैं और दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने में खतरनाक साबित होते हैं। 
जानिए किस तरह से नियंत्रित किए जाते हैं गाइडेड बम?
एक स्मार्ट बम को साधारण बम से अलग तरह से डिजाइन किया जाता है। इनमें अलग से पर और पंख दिए जाते हैं, जिससे इनकी दिशा को नियंत्रित किया जाता है। इनके सिर्फ कुछ कोणों को बदलकर ही इनके लक्ष्य को बदला जा सकता है। यानी यह बम मुख्य तौर पर सीधे गिरने की जगह ग्लाइड करते हुए गिरते हैं और टारगेट को खत्म कर देते हैं। 

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