लोकसभा ने मानव तस्करी रोकने तथा पीड़ितों के पुनर्वास संबंधी मानव तस्करी (निवारण, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक, 2018 को आज ध्वनिमत से पारित कर दिया।
विधेयक पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि उन्होंने इस विधेयक में सभी पहलुओं को शामिल करने का प्रयास किया है। इसके बावजूद यदि कोई कमी होगी तो उसे क्रियान्वयन संबंधी नियमावली में जोड़ लिया जाएगा।श्रीमती गांधी ने कहा कि विधेयक को अनेक देशों ने महिलाओं एवं बच्चों की तस्करी रोकने के लिए सबसे अच्छा बताया है। उन्होंने चर्चा के दौरान विभिन्न सदस्यों द्वारा उठाये गये मुद्दों का सिलसिलेवार ढंग से विस्तार से जवाब दिया।
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इस विधेयक के कानून बन जाने के बाद भारत दक्षिण एशिया के उन गिने-चुने देशों में शामिल हो जायेगा जिनमें व्यक्तियों – विशेषकर महिलाओं और बच्चों – की तस्करी तथा उनके साथ होने वाले दुर्व्यवहार को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए गये हैं।
इस विधेयक में तस्करी के शिकार हुए लोगों के लिए राहत तथा पुनर्वास की बात भी की गयी है, लेकिन आरंभ में इसके लिए महत्र 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। विधेयक में पुलिस अधिकारी को मानव तस्करी के मामले पकड़ने पर मजिस्ट्रेट के पास जाने की आवश्यकता नहीं है। पुलिस अधिकारी को ही मजिस्ट्रेट के बराबर अधिकार दिए गए हैं इसलिए वह सीधे अपराधी के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।
श्रीमती गांधी ने इसके लिए केवल 10 करोड़ रुपये के प्रावधान पर सवाल उठाये जाने पर कहा कि यह आरंभिक राशि है। बाद में इसके लिए राशि बढ़यी जाएगी। उन्होंने निर्भया कोष के बारे में कहा कि उसमें शुरुआत में केवल एक हजार करोड़ रुपए दिये गये थे लेकिन बाद में उसकी राशि बढ़कर छह हजार करोड़ रुपये हो गयी और उसका उपयोग भी किया गया।