संसद के मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा में सांसदों के वेतन में एक वर्ष के लिए 30 प्रतिशत कटौती करने वाला एक विधेयक पेश किया गया। संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विधेयक पेश किया। विधेयक पास होने पर कटौती से प्राप्त होने वाली राशि का उपयोग कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति से मुकाबले के किए किया जाएगा।
कोरोना काल में उपजे आर्थिक संकट को देखते हुए सरकार ने ये विधेयक पेश किया। कई सांसदों ने खुद ही वेतन में कटौती का ऐलान किया है। कई सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं ने भी इस मुहीम में आगे आते हुए अपने वेतन में कुछ प्रतिशत कटौती का ऐलान किया है।
प्रह्लाद जोशी ने निचले सदन में संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेशन संशोधन विधेयक 2020 को पेश किया जो संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेशन अध्यादेश 2020 का स्थान लेगा। जोशी ने कहा कि वह संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेशन अधिनियम 1954 में संशोधन करने का विधेयक पेश कर रहे हैं।
इस अध्यादेश को 6 अप्रैल को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली थी और यह 7 अप्रैल को लागू हुआ था। अध्यादेश में कहा गया था कि कोरोना वायरस महामारी ने त्वरित राहत और सहायता के महत्व को प्रदर्शित किया है और इसलिए महामारी को फैलने से रोकने के लिये कुछ आपात कदम उठाये जाने जरूरी है।