ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) ने शनिवार को घोषित किए गए नागरिक निकाय चुनाव परिणामों में तीनों नगर निगमों और 105 में से 73 नगर पालिकाओं पर कब्जा कर लिया। बीजद की सुलोचना दास और संघमित्रा दलाई को क्रमश: भुवनेश्वर नगर निगम और बरहामपुर नगर निगम (बीईएमसी) का मेयर चुना गया। सरकार ने इस बार महिलाओं के लिए भुवनेश्वर और बरहुमपुर नगर निगमों के लिए मेयर पद आरक्षित किया। इसी तरह, बीजद उम्मीदवार और राज्यसभा सांसद सुभाष सिंह भी कटक नगर निगम के मेयर चुने गए हैं।
बीजद की सुलोचना दास ने भाजपा उम्मीदवार को सुनुति मुंड को 600000 मतों से किया पराजित
सुलोचना दास वर्तमान में विकलांग व्यक्तियों की राज्य आयुक्त हैं। उन्होंने भुवनेश्वर नगर निगम के मेयर के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार सुनुति मुंड को 60,000 से अधिक मतों के अंतर से हराया। कांग्रेस उम्मीदवार मधुस्मिता आचार्य को चुनाव में 11,006 मत ही मिले और उन्हें अपनी जमानत गंवानी पड़।
भाजपा ने 16 नगर पालिका परिषद की सीटों पर जमाया कब्जा
पहली बार नगर निगमों में महापौर पद और नागरिक निकायों में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव सीधे राज्य में हुए थे। नौ साल पहले हुए पिछले निकाय चुनावों में, सत्तारूढ़ बीजद ने 80 नगर निकायों में अध्यक्ष पद जीता था। पिछले चुनावों में केवल तीन नगर निकायों में अध्यक्ष का पद जीतने वाली विपक्षी भाजपा ने 16 नगर निकायों में अध्यक्ष पद पर कब्जा करके अपनी ताकत बढ़ई।
ओडिशा नगर निकाय चुनाव में भी फिसड्डी रही काग्रेंस
विपक्षी कांग्रेस जिसने पिछले चुनावों में 13 नगर निकायों में अध्यक्ष पद जीता था, केवल सात नगर निकायों में अध्यक्ष पद जीतने में कामयाब रही। निर्दलीय ने पिछले चुनावों में छह अध्यक्ष पदों से इस बार नौ अध्यक्ष पदों पर अपनी ताकत बढ़ दी है।। जहां तक ??तीनों प्रमुख राजनीतिक दलों के वोटिंग शेयर का सवाल है, तो सत्तारूढ़ बीजद को 69 प्रतिशत वोट मिले। उसके बाद भाजपा को 15.23 प्रतिशत और कांग्रेस को 6.6 प्रतिशत वोट ही मिल सके।
आपको बता दे कि ओडिशा में बीजू जनता दल की सरकार हैं, जो केंद्र सरकार के समांकित ही चलती हैं। कभी मोदी सरकार व ओडिशा सरकार में मतभेद देखने को नही मिला हैं। कई मौकों पर बीजद संसद में केंद्र सरकार के साथ खड़ी मिलती हैं। गत चुनावों में करारी हार मिलने के बाद भी किसी चुनाव में काग्रेंस की सियासी हालात अच्छी नही हो पा रही हैं। ओडिशा नगर निकाय चुनावों में भी कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा हैं।