भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने संसद के केन्द्रीय कक्ष में राष्ट्रपति अभिभाषण के दौरान विपक्षी सदस्यों द्वारा काली पट्टी बांध कर आने एवं विरोध प्रदर्शन करने को लोकतंत्र का अपमान करार दिया है और मांग की कि वे देश से माफी मांगें।
बीजेपी के प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने संसद के बजट सत्र के पहले दिन आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के समाप्त होने के बाद बाहर संवाददाताओं से कहा कि राष्ट्रपति अभिभाषण में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने, राज्य के पुनर्गठन तथा नागरिकता संशोधन कानून के उल्लेख किए जाने पर सर्वाधिक लंबे समय तक मेजें थपथपायीं गयीं।
इससे जाहिर होता है कि इन दोनों कदमों को अब पहले से कहीं अधिक समर्थन हासिल है। नरसिम्हा राव ने कहा कि विपक्ष के एक दो सदस्यों ने एक दो मिनट के लिए खड़ होकर विरोध प्रकट किया और शोर किया। कांग्रेस एवं अन्य दलों के सदस्य बाजू पर काली पट्टी पहन आए थे। कुछ लोगों ने तख्तियां भी दिखायीं।
उन्होंने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल के लिए यह शोभा नहीं देता कि वे राष्ट्रपति अभिभाषण के समय ऐसे विरोध प्रकट करें। ऐसा करके उन्होंने लोकतंत्र का अपमान किया है। उनको इस पर खेद प्रकट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल स्वार्थ के कारण लोगों को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं।
राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में ऐसे दलों के लिए संदेश दिया है और उन्हें देश एवं जनता के प्रति उनके दायित्व याद दिलाए हैं। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून अब विधिवत कानून बन चुका है। राष्ट्रपति अभिभाषण राजनीति करने की जगह नहीं होती है। सभी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का अपमान देश का अपमान होता है।
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राष्ट्रपति अभिभाषण के सार की चर्चा करते हुए नरसिम्हा राव ने कहा कि अभिभाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के सात माह में किए गए कार्यों एवं उठाए गए ऐतिहासिक कदमों का उल्लेख किया गया है। पांच साल में गरीबों के उत्थान के प्रयासों तथा 2022 में स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के लिए तय लक्ष्यों का भी जिक्र किया गया और भविष्य में विकास की रूपरेखा भी बतायी गयी।
उन्होंने यह भी कहा कि नागरिकता संशोधन कानून बना कर महात्मा गांधी एवं अन्य राष्ट्र निर्माताओं के वादों को पूरा किया गया है। जम्मू कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 एवं 35 ए के विलोपन, राज्य के पुनर्गठन और वहां के लोगों के विकास के बारे में उल्लेख करने पर सदस्यों से मेजें थपथपायीं।