पूर्व केंद्रीय मंत्री एस एस अहलूवालिया के नेतृत्व में भाजपा का एक तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल शनिवार को हिंसा प्रभावित भाटपारा पहुंचा जहां दो समूहों के बीच संघर्ष में दो लोगों की जान चली गई थी जबकि कई अन्य घायल हो गए थे। माना जा रहा है कि संघर्षरत समूह तृणमूल कांग्रेस और भगवा दल से संबंधित थे।
एसएस अहलूवालिया ने कहा कि 17 साल के एक लड़के को उस समय गोली मारी गई जब वह कुछ खरीदने जा रहा था। पुलिस ने प्वाइंट ब्लैंक रेंज से उसके सिर में गोली मार दी। एक वेंडर को गोली लगने से उसकी मौके पर ही मौत हो गई। वही, एक अस्पताल में है। उन्होंने बताया कि 7 लोगों को गोली लगी है। पुलिस निर्दोष लोगों के लिए गुंडों और गोलियों के लिए बैटन का उपयोग करती है। इसकी पूछताछ होनी चाहिए।
उत्तर 24 परगना जिले के भाटपारा में भाजपा के प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के दौरान बंगाल पुलिस हाये हाये! ममता बनर्जी हाये हाये!” के नारे लगे। वही, भाजपा के प्रतिनिधिमंडल के जाने के बाद पश्चिम बंगाल के भाटपारा में फिर से झड़पें हुईं, बम फेंके गए, हिंसा को रोकने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज किया।
#WATCH West Bengal: Police use baton to remove locals from the spot in Bhatpara in North 24 Parganas, as a BJP delegation visits the area. pic.twitter.com/wyE7vdJOq6
— ANI (@ANI) June 22, 2019
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने बंगाल से आने वाले सांसद अहलूवालिया के नेतृत्व वाले दल से उत्तरी 24 परगना के भाटपारा का दौरा करने को कहा था। उनके साथ सांसद सत्यपाल सिंह और बीडी राम थे। इसके अलावा राज्य के कुछ और नेता भी उनके साथ थे। सिंह और राम पूर्व पुलिस अधिकारी हैं और क्रमश: उत्तर प्रदेश और झारखंड से सांसद हैं। उनके साथ बैरकपुर से सांसद अर्जुन सिंह भी थे।
यह प्रतिनिधिमंडल मृतकों के परिजनों से मुलाकात करेगा और स्थानीय लोगों से भी बातचीत करेगा। प्रतिनिधिमंडल पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। इससे पहले दिन में नेता विपक्ष अब्दुल मन्नान और माकपा नेता सुजान चक्रबर्ती के नेतृत्व में माकपा और कांग्रेस के एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ने प्रभावित इलाकों बरयुईपारा, जगददल, भाटपारा का दौरा किया। उन्होंने हत्याओं की सीबीआई जांच की मांग की।
शुक्रवार को भाजपा नेतृत्व ने भी इस घटना का सच सामने लाने के लिये सीबीआई जांच की मांग की। लंबे समय से तृणमूल कांग्रेस का गढ़ रहे भाटपारा में चुनाव के बाद विरोधी गुटों में संघर्ष के मामले कई बार सामने आ चुके हैं।