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OBC जातियों का समर्थन हासिल करने में जुटी बीजेपी, देशभर में करेगी सम्मेलन

भाजपा के विरोधी दल ओबीसी मतदाताओं के सहारे भाजपा के विजयी रथ को रोकने की कोशिश कर रहे हैं और इसलिए ये दल लगातार जातिगत आधार पर जनगणना कराने की मांग कर रहे हैं।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विरोधी दल ओबीसी मतदाताओं के सहारे भाजपा के विजयी रथ को रोकने की कोशिश कर रहे हैं और इसलिए ये दल लगातार जातिगत आधार पर जनगणना कराने की मांग कर रहे हैं। केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में तकनीकी आधार पर इसके लिए मना कर देने के बाद सपा और राजद जैसे विरोधी दल इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में जुट गए हैं। भाजपा ने विरोधी दलों का जवाब देने के लिए ओबीसी वर्ग के बुद्धिजीवियों के सहारे ओबीसी मतदाताओं तक पहुंचने की रणनीति बनाई है। 
भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ के. लक्ष्मण ने बताया कि मोर्चा देश की राजधानी दिल्ली में ओबीसी वर्ग बुद्धिजीवी सम्मेलन का आयोजन करने जा रहा है। इस सम्मेलन में मोदी सरकार के पिछले 7 वर्ष की उपलब्धियों पर चर्चा की जाएगी। मोदी सरकार ने पिछले 7 सालों में ओबीसी वर्ग के हितों के लिए क्या-क्या ऐतिहासिक कार्य किए हैं, इनके बारे में बताया जाएगा और साथ ही भविष्य में समाज की भलाई के लिए क्या-क्या करना चाहिए के संबंध में भी चर्चा की जाएगी। भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया कि मोर्चे की योजना देश के हर बड़े शहर में इस तरह के ओबीसी वर्ग बुद्धिजीवी सम्मेलन का आयोजन करने की है ताकि देशभर के ओबीसी समाज तक मोदी सरकार की उपलब्धियों को पहुंचाया जा सके। 22 अक्टूबर को दिल्ली में होने जा रहे इस ओबीसी वर्ग बुद्धिजीवी सम्मेलन में इस समाज से जुड़े 300 के लगभग बुद्धिजीवी शामिल होंगे। भाजपा ओबीसी मोर्चे के तमाम पदाधिकारी भी सम्मेलन में शामिल होंगे। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव सम्मेलन में आए हुए तमाम बुद्धिजीवियों को मोदी सरकार की उपलब्धियों की जानकारी देंगे। 
दरअसल , भाजपा के विरोधी दल एक बार फिर से ओबीसी मतदाताओं के सहारे भाजपा को पीछे ढ़केलना चाहते हैं । आपको बता दें कि 1990 के दशक के शुरूआती दौर में भाजपा के समर्थन पर ही टिकी वी.पी.सिंह की सरकार ने मंडल का ऐसा खेल खेला कि भाजपा की कमंडल की राजनीति को पूरी तरह से कामयाब होने के लिए वर्षों तक इंतजार करना पड़ा। 1996 में पहली बार केंद्र में भाजपा की सरकार बनी जो सिर्फ 13 दिनों तक ही चल पाई। 1998 और 1999 में सहयोगी दलों के बल पर अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने। 
अपने दम पर लोकसभा में बहुमत हासिल करने के लिए भाजपा को 2014 तक का इंतजार करना पड़ा। उस समय वी.पी.सिंह की पार्टी के दिग्गज नेता रहे लालू और मुलायम की अगली पीढ़ी भी उसी मंडल राजनीति के 2.0 वर्जन के तहत भाजपा को घेरना चाहती है। विरोधी दलों की इस राजनीति पर पलटवार करते हुए सरकार के एक दिग्गज मंत्री ने कहा कि यह 2021 है। केंद्र में भारी बहुमत के साथ भाजपा की सरकार है और सरकार के पास ओबीसी वर्ग के हितों के लिए किए गए कामों की पूरी लिस्ट है। 
इस दिग्गज मंत्री ने कहा कि ओबीसी मतदाताओं के सहारे लंबे समय तक शासन करने वाले इन दलों के लिए अब जवाब देने का वक्त आ गया है और इन्हे यह बताना चाहिए कि पिछले 30 सालों में इन्होने ओबीसी की किन-किन जातियों के प्रतिनिधियों को सांसद- विधायक बनवाया ? ओबीसी की किन-किन जातियों का भला किया ? और इतने लंबे समय तक उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में राज करने के बावजूद इन्होने ओबीसी की सभी जातियों को सत्ता में भागीदारी क्यों नहीं दी ? 
भाजपा बुद्धिजीवी वर्ग के इन सम्मेलनों के जरिए एक तरफ जहां ओबीसी मतदाताओं तक सरकार की उपलब्धियां पहुंचाना चाहती है वहीं साथ ही विरोधी दलों की पोल भी यह कहते हुए खोलना चाहती है कि सामाजिक न्याय का इन दलों का नारा महज कुछ जातियों तक ही सीमित होकर रह गया है। 

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