केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ विमर्श का मुकाबला करने के लिए हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक प्रमुख कृषक समुदाय के भाजपा नेताओं ने जाट लोगों और खापों के सदस्यों से संपर्क करने के लिए अलग-अलग बैठकें कीं।
पार्टी का आरोप है कि अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए एक वर्ग ने नए कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को जाट समुदाय के लिए भावनात्मक मुद्दा बना दिया है। आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं ने हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में महापंचायतों का आयोजन किया है। भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को इन स्थानों के पार्टी नेताओं, सांसदों और विधायकों के साथ बैठक की थी।
उस बैठक के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में समुदाय के नेताओं ने बुधवार को अलग अलग बैठकें की और आगे की योजना पर विचार किया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से लोकसभा सदस्य और केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने क्षेत्र के भाजपा नेताओं की बैठक का समन्वय किया। बैठक में पार्टी के उपाध्यक्ष सौदान सिंह और मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी ने भाग लिया।
बालियान ने बैठक के बाद कहा, ‘‘हम अपने क्षेत्रों में किसानों के पास जाएंगे …. वे हमारे अपने लोग हैं और हम उनके हैं। हम उनकी बात धैर्य से सुनेंगे और उन्हें तीन नए कृषि कानूनों के लाभ के बारे में बताएंगे। और यदि उनके कोई मुद्दे हैं (कानूनों के संबंध में), तो केंद्र ने कहा है कि वे संशोधन के लिए तैयार हैं।’’
उन्होंने कहा कि क्षेत्र में किसानों के लिए गन्ना का मूल्य और बिजली बिल से संबंधित मुद्दे अधिक प्रासंगिक हैं तथा सरकार इनका समाधान करने के लिए काम कर रही है और इनमें से कइयों का समाधान हो गया है। हरियाणा भाजपा के नेताओं की गुड़गांव में आयोजित बैठक की अध्यक्षता राज्य के पार्टी प्रमुख ओ पी धनखड़ ने की। बैठक में राज्य सरकार के मंत्रियों, पार्टी सांसदों व विधायकों ने
भाग लिया।
बैठक में मौजूद सूत्रों ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ उस विमर्श का मुकाबला करने के लिए एक योजना बनायी गयी है जिसे मुख्य रूप से कम्युनिस्ट विचारधारा वाले लोगों ने बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा कि पूरे किसान समुदाय, खासकर जाटों से संपर्क कायम करने की नीति बनायी गयी है। सूत्रों ने कहा कि पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों ने इन नेताओं से कहा है कि वे लोगों के पास जाएं और तीनों नए कृषि कानूनों के बारे में गलत धारणाएं और गलतफहमियों को दूर करें।
इन राज्यों के ज्यादातर भाजपा नेताओं को लगता है कि जब बीकेयू नेता राकेश टिकैत के रोने और दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर गाजीपुर में विरोध स्थल छोड़ने से इनकार करने के बाद आंदोलन ने भावनात्मक मोड़ ले लिया।